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उत्तराखंड के मंत्री और विधायकों के विदेश दौरे पर जनसेवी भावना पांडे ने खड़े किये सवाल, कही ये बात

देहरादून। उत्तराखंड में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि मंत्री, पांच विधायक और अधिकारियों की टीम विदेश दौरा करेगी। 25 जुलाई से पांच अगस्त तक जर्मनी, स्विट्जरलैंड और इटली का दौरा कर जैविक खेती के गुर सीखेंगे। साथ ही राज्य से मोटे अनाजों का निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं को तलाशेंगे। उत्तराखंड के मंत्री व विधायकों के विदेश दौरे पर जनसेवी भावना पांडे ने सवाल खड़े करते हुए सरकार की नीति पर जमकर निशाना साधा।

सरकार की कार्यशैली पर बड़ा हमला बोलते हुए वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि जैविक खेती के गुर सीखने के बहाने उत्तराखंड के मंत्री और विधायक विदेशों में सैर-सपाटा करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के लिए ये बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि जनता के पैसे को मंत्री व विधायक मौज-मस्ती में उड़ाएंगे और खेती के गुर सीखने का बहाना बनाकर प्रदेश की मासूम जनता को मूर्ख बनाएंगे।

उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि मंत्री जी अपने साथ तफरी के लिए विपक्ष के दो विधायकों को भी विदेश टूर पर ले जा रहे हैं, जो वाकई हैरान करता है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार की सोच पर बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि एक ओर तो मुख्यमंत्री धामी कम ख़र्च करने की बात कहते हैं वहीं दूसरी ओर अपने मंत्री व विधायकों को बेवजह विदेश भेजकर फ़िजूलखर्ची का उदाहरण पेश करते हैं। अब ऐसे में सरकार द्वारा खर्च को कैसे व्यवस्थित किया जाएगा, जनता के सामने ये बड़ा सवाल खड़ा हो गया है।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि अक्सर सरकार के मंत्रियों के विदेश दौरों को लेकर विपक्ष विरोध करता है और बहुत शोर मचाता है किंतु इस बार इस मामले में विपक्ष भी चुप्पी साधे है। वजह ये है कि विपक्ष के दो विधायक हरीश धामी और मनोज तिवारी भी इस दौरे में शामिल हैं। वहीं कृषि मंत्री गणेश जोशी के साथ भाजपा विधायक सुरेश गढ़िया, रेनू बिष्ट, राम सिंह कैड़ा, प्रदीप बत्रा और कृषि विभाग के अधिकारी भी इस प्रतिनिधि मंडल में शामिल रहेंगे।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि इस विदेश दौरे को लेकर जहां सत्तापक्ष ने विपक्ष को लॉलीपॉप थमा दिया है, तो वहीं सरकार के मंत्री अब जनता को इस दौरे के फायदे गिनाते हुए बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं। लेकिन हक़ीक़त सभी को पहले से ही पता है। विदेश जाकर ये प्रतिनिधि मंडल क्या कुछ नया सीखकर आएगा और उसको कितना धरातल पर उतारा जाएगा ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा। बहरहाल सरकार के इस निर्णय से एक बार फिर उसकी नीयत और कार्यशैली पर कईं सवाल खड़े हो गए हैं। मंत्री व विधायकों के इस स्टडी टूर ने ये साबित कर दिया है कि सरकार की कथनी और करनी में कितना अंतर है।

उन्होंने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि उत्तराखंड में कृषि की जमीनों को बचाने के लिए तो सरकार कोई काम करती नज़र आ नहीं रही है फिर भला ऐसे में जैविक खेती के गुर सीखकर मंत्री व विधायक कहाँ फसलें उगाएंगे। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड के किसानों की हालत आज दयनीय है और जंगली जानवरों का भय अक्सर बना रहता है। वहीं ऐसी कईं समस्याओं से मुंह चुराकर सरकार अपने मंत्री व विधायकों को विदेशों दौरे पर भेज रही है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर ये काम करके सरकार कौन सा उदाहरण पेश करना चाहती है और सरकार के इस कदम से फ़िजूलखर्ची पर लगाम कैसे लगेगी। वहीं उत्तराखंड के ऊपर जो पिछत्तर हज़ार करोड़ का कर्ज है उससे प्रदेश कैसे बाहर आएगा ?

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