शिक्षा विभाग के कारनामें पर जनसेवी भावना पांडे ने उठाए सवाल, कही ये बड़ी बात
देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने शिक्षा विभाग के अजब-गजब कारनामों को लेकर कईं सवाल खड़े किये। शिक्षा विभाग द्वारा मृतक शिक्षक के तबादले के आदेश पर उन्होंने हैरानी जताई, साथ ही ऐसे मामलों को लेकर उत्तराखंड सरकार पर भी जमकर निशाना साधा है।
मीडिया को जारी अपने बयान में वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि शिक्षा विभाग की लापरवाही खुलकर जनता के सामने आ चुकी है। उन्होंने विभागीय अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बड़े ही अफ़सोस की बात है कि एक बीमार शिक्षक कई साल तक सुगम में तबादले के लिए गुहार लगाते रहे। इस इंतजार में वह दुनिया से चले गए, लेकिन तबादला नहीं हुआ। वहीं उनकी मौत के चार साल बाद विभाग ने अब उनके तबादले का आदेश जारी किया है।
जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि ताज़्ज़ुब होता है ये सोचकर कि शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभाग के जिम्मेदार पदों पर बैठे हुए अधिकारी इतने लापरवाह कैसे हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में प्रथम दृष्टया विभागीय अधिकारियों की अपने कार्य एवं दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही प्रतीत होती नज़र आ रही है।
जेसीपी मुखिया भावना पांडे ने सरकार को घेरते हुए सवाल किया कि सरकार के मंत्री अपने विभागों के प्रति गंभीर क्यों नहीं हैं, आखिर क्यों अधिकारियों को सरकार के मंत्रियों का भय नहीं रह गया है? उन्होंने कहा कि इस प्रकरण का खुलासा होने पर एवं मामले में किरकिरी होती देख विभागीय मंत्री ने आनन-फानन में जांच के आदेश दे दिये किन्तु उनके इस कदम से विभाग की लापरवाहियों पर पर्दा नहीं पड़ जाएगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग में यह पहला मामला नहीं है जब शिक्षक की मौत के बाद उनके तबादले का आदेश हुआ है। विभाग में पहले भी इस तरह के कारनामें हो चुके हैं। पिछले साल भी विभाग में सेवानिवृत्त और दिवंगत शिक्षकों के प्रमोशन कर दिए गए थे। विभाग की ओर से सहायक अध्यापक एलटी और लेक्चरर के पदों से प्रधानाध्यापकों के पदों पर पदोन्नति की जो सूची जारी की गई थी, उसमें नौ दिवंगत, आठ सेवानिवृत्त और दो ऐसे शिक्षक थे जो पहले ही पदोन्नति पाकर प्रधानाध्यापक बन चुके थे। इस मामले का मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया था। इसके अलावा विभाग की ओर से भी जांच के निर्देश हुए, लेकिन इतनी बड़ी लापरवाही के बाद भी अब तक किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
जनसेवी भावना पांडे ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि ऐसे सभी मामलों को सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए एवँ सभी प्रकरणों की पूरी तरह से जाँच करवाकर दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जिससे ऐसे मामलों की दोबारा पुनरावृत्ति न हो सके।