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उत्तराखंड में हेलीकॉप्टर सेवाओं पर जनसेवी भावना पांडे ने उठाये सवाल, कही ये बात

देहरादून। उत्तराखंड की बेटी, वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, प्रसिद्ध जनसेवी एवँ जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने केदारनाथ के निकट हुए हेलीकॉप्टर हादसे पर दुःख व्यक्त किया है। इसके साथ ही उन्होंने उत्तराखंड में संचालित की जा रही हेलीकॉप्टर सेवाओं पर भी सवाल उठाये हैं।

देवभूमि की बेटी भावना पांडे ने कहा कि केदारनाथ के पास हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना बेहद दुःखद है। केदार घाटी में किस प्रकार की डरावनी यात्रा व्यवस्था हेली टैक्सी सेवा द्वारा प्रदान की जा रही है ये हादसा इसका उदाहरण है। उन्होंने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि हेलीकॉप्टर क्रैश में मारे गए 7 लोगों की मौत का जिम्मेदार आखिर कौन है।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि बाबा केदार के ‘शार्टकट दर्शन’ कराने वाली इस कॉमर्शियल आपाधापी में इन हवाई कंपनियों को न श्रद्धालुओं की सुविधाओं की फ़िक्र है और न उनकी जान की। हवाई सेवाओं के कुप्रबंधन ने केदारधाम की यात्रा को न सिर्फ परेशानियों से भरा, बल्कि बेहद असुरक्षित बना दिया है। कंपनियों की व्यावसायिक भूख इस कदर बढ़ रही है कि उन्हें सिर्फ अपनी कमाई की चिंता है, यात्रियों की सुविधाओं की नहीं।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि एक आम यात्री के लिए केदारनाथ हवाई यात्रा का टिकट प्राप्त करना किसी जंग जीतने के समान है। गुप्तकाशी से 19 किमी दूर फाटा में स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) की टिकट खिड़की पर सुबह सात बजे से उमड़ी भीड़ को देखकर समझा जा सकता है कि टिकट पाने की जंग कितनी भीषण है।

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि ऑनलाइन से या प्रोटोकॉल या किसी अन्य प्रयास से आपने यदि हेली सेवा का टिकट प्राप्त कर लिया है तो यह तय समय पर यात्रा की गारंटी बिल्कुल भी नहीं है। यही नहीं ज्यादातर हेली कंपनियों के हेलीपेड पर टिकट लेकर पहुंचने वाले यात्रियों को घंटों इंतजार कराया जाता है। इस दौरान कोई उन्हें बताने वाला भी नहीं होता कि यात्रा के दौरान उन्हें किन-किन सावधानियों का ध्यान रखना है। जब उन्हें हेलीकॉप्टर में ठूंसा जाता है तो उससे चंद मिनट पहले ट्रैफिक कंट्रोल से जुड़ा स्टाफ उन्हें बताता है कि उन्हें कहां खड़ा होना है।

उन्होंने कहा कि दोपहर बाद हेलीकॉप्टर से केदारनाथ यात्रा करने का मतलब वहां नाइट हॉल्ट करना ही पड़ेगा। यदि आपने एक ही दिन में वापसी का टिकट भी कराया है और दोपहर के बाद आपको केदारनाथ भेजा गया है तो फिर आपको बता दिया जाता है कि केदारनाथ में नाइट हॉल्ट करना होगा। जाहिर है ऐसे समय में आपको केदारनाथ में महंगे कमरे के लिए जेब ढ़ीली करनी ही पड़ेगी साथ ही अपना पूरा कार्यक्रम भी बदलना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि घंटों वेटिंग रूम में बैठने के दौरान हेली कंपनियों से हजारों रुपये का टिकट लेने के बाद यात्री यह उम्मीद करते हैं कि उन्हें समय पर बताया जाए कि उनकी यात्रा कब शुरू हो पाएगी मगर ऐसा होता नहीं है। यही नहीं कईं हेली कंपनियों में सुविधाओं को तो छोड़ो यात्रियों को कोई पानी तक नहीं पूछता।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि केदारनाथ के लिए जिन नौ हवाई कंपनियों को यात्री हेलिकॉप्टर उड़ाने की छूट दी गई है, उनमें तीन पिंकल एयर प्रा. लि., चिप्सन एविएशन और थांबी एविएशन के हेलीपैड फाटा से करीब डेढ़ से तीन किमी के फासले पर जामू गांव तक की रोड पर बनाए गए हैं। लेकिन इस मार्ग की हालत बेहद खराब है और यहाँ बड़े-बड़े गड्ढ़े हैं। हैरानी की बात है कि इस मार्ग की दुर्दशा इस पर गुजरने वाले मंत्रियों, विधायकों, प्रशासन, पुलिस के आलाधिकारियों, इंजीनियरों और तमाम महानुभावों को भी दिखाई नहीं देती।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ के पुनर्निर्माण पर करोड़ों रुपये खर्च कर दिए गए। लेकिन हेली सेवाओं के लिए एक टर्मिनल तक नहीं बनाया जा सका। हाड़ कंपा देने वाली ठंड में यात्रियों को अपनी बारी का इंतजार करते यहां देखा जा सकता है। खुले में जब बारिश और बर्फबारी होती है तो दुश्वारियां और भीषण हो जाती हैं। इन सब के बावजूद हमारी सरकार बेफिक्र है और हेलीकंपनियों की मनमानी चरम पर है, जिसका खामियाजा बेकसूर यात्रियों को अपनी जान देकर चुकाना पड़ रहा है।

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