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भारतीय पत्रकारों को बुलाकर दिखाई सैन्य ताकत

चीन । डोकलाम विवाद में दबाव बढ़ाने के इरादे से चीन ने भारतीय पत्रकारों के दल को एक सैन्य ट्रेनिंग सेंटर का दौरा कराकर अपनी ताकत दिखाई। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (चीनी सेना) के सीनियर कर्नल ली ने इस दौरान धमकाने के अंदाज में कहा, ‘टकराव टालने के लिए भारतीय सेना चीन की जमीन से हट जाए।’

सोमवार को चीनी सरकार प्रायोजित यह दौरा उस समय प्रोपेगेंडा बन गया, जब चीनी सेना ने डोकलाम में जारी तनाव को लेकर कड़ा रुख अपनाया। कर्नल ली ने कहा, ‘भारतीय सेना ने चीनी भूमि पर आक्रमण किया है। आप लिख सकते हैं कि चीनी सैनिक क्या सोच रहे हैं। मैं एक सैनिक हूं और देश की अखंडता कायम रखने के लिए अपना सर्वस्व दूंगा। यह हमारी प्रतिज्ञा व संकल्प है।’

पत्रकारों को जिस सैन्य ट्रेनिंग सेंटर ले जाया गया था वह बीजिंग के बाहरी इलाके में स्थित है। चीन द्वारा भारतीय पत्रकारों को संभवत: पहली बार इस तरह का दौरा कराया गया। हालांकि ली ने स्पष्ट किया कि सैन्य शक्ति के प्रदर्शन का डोकलाम के ताजा विवाद से खास संबंध नहीं है। चीनी विदेश मंत्रालय ने पहले कहा था कि डोकलाम में अब भी भारत के 48 सैनिक बुलडोजर के साथ ठहरे हुए हैं। सीमा व उसके दूसरी ओर भी भारी मात्रा में भारतीय सैनिक जमा हैं।

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डोकलाम को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कर्नल ली ने कहा, पीएलए क्या कार्रवाई करेगा, यह भारत के कदम पर निर्भर करेगा। जब भी जरूरी होगा आवश्यक कार्रवाई करेंगे। हम सत्तारूढ़ सीपीसी (कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चीन) और केंद्रीय सैन्य आयोग, जो कि 23 लाख सैनिकों का हाई कमान है और उसके प्रमुख राष्ट्रपति शी जिनपिंग हैं, का आदेश मानेंगे।

पत्रकारों को युद्ध कौशल दिखाया

भारतीय पत्रकारों को चीन के गैरीसन इलाके में ले जाया गया। ये जगह बीजिंग के करीब ही है। यहां भारतीय पत्रकारों को चीन के युद्ध कौशल के बारे में भी बताया गया। भारतीय पत्रकारों को पीएलए की शार्प शूटिंग स्किल्स, दुश्मनों को बंदी बनाना और आतंकवाद से मुकाबले का तरीका दिखाया गया। गैरीसन पीएलए का सबसे पुराना ट्रेनिंग सेंटर है। यहां फिलहाल 11 हजार चीनी सैनिक ट्रेनिंग ले रहे हैं। हालांकि, ली ने साफ कर दिया कि चीनी सैनिकों की तैयारियों का डोकलाम विवाद से कोई ताल्लुक नहीं है।

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