महान लेखक एवं कवि सुमित्रा नंदन पंत की जयंती पर उन्हें सादर नमन : जनसेवी अजय सोनकर
जनसेवी अजय सोनकर ने महान कवि सुमित्रा नंदन पंत का स्मरण करते हुए कहा कि हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में शामिल सुमित्रा नंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था।
देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता, प्रसिद्ध जनसेवी एवं वार्ड संख्या 18, इंदिरा कॉलोनी के पूर्व नगर निगम पार्षद अजय सोनकर उर्फ़ घोंचू भाई ने देश के महान लेखक एवं कवि सुमित्रा नंदन पंत की जयंती पर उन्हें नमन किया।
इस अवसर पर जारी अपने संदेश में जनसेवी अजय सोनकर ने कहा- हिंदी साहित्य को बुलंदियों तक पहुंचाने वाले, ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी जैसे प्रतिष्ठित सम्मान से सम्मानित व हिंदी साहित्य मेँ छायावादी युग के स्तम्भ, महान कवि, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी व प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रा नंदन पंत जी की जन्म जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन्।
जनसेवी अजय सोनकर ने महान कवि सुमित्रा नंदन पंत का स्मरण करते हुए कहा कि हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों में शामिल सुमित्रा नंदन पंत ऐसे साहित्यकारों में गिने जाते हैं, जिनका प्रकृति चित्रण समकालीन कवियों में सबसे बेहतरीन था। सुमित्रानंदन पंत नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। आकर्षक व्यक्तित्व के धनी सुमित्रानंदन पंत अंग्रेज़ी के रूमानी कवियों जैसी वेशभूषा में रहकर प्रकृति केन्द्रित साहित्य लिखते थे।
अजय सोनकर ने कहा कि सुमित्रानंदन पंत का जन्म 20 मई 1900 में उत्तराखण्ड के कौसानी में हुआ था। उनके बचपन का नाम ‘गुसाईं दत्त’ था। स्लेटी छतों वाले पहाड़ी घर, आंगन के सामने आडू, खुबानी के पेड़, पक्षियों का कलरव, सर्पिल पगडण्डियां, बांज, बुरांश व चीड़ के पेड़ों की बयार व नीचे दूर दूर तक मखमली कालीन सी पसरी कत्यूर घाटी व उसके उपर हिमालय के उत्तंग शिखरों और दादी से सुनी कहानियों व शाम के समय सुनायी देने वाली आरती की स्वर लहरियों ने गुसाईं दत्त को बचपन से ही कवि हृदय बना दिया था।
उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं ‘लोकायतन’ पर सोवियत लैंड नेहरु पुरस्कार आदि सम्मानों से नवाजा गया।