Breaking NewsEntertainment

रिया चक्रवर्ती ने आदित्य ठाकरे और सुशांत की बहन को लेकर दिया बड़ा बयान, कही ये बात

मुंबई। बीती 14 जून को सुशांत सिंह राजपूत अपने फ्लैट में मृत पाए गए, तब से हर कोई ये जानने को बेताब है कि आखिर एक युवा और जिंदादिल अभिनेता कैसे और क्यों इस दुनिया से चला गया? पहले इसे खुदकुशी बताया गया लेकिन धीरे- धीरे जो बातें सामने आ रही हैं उससे सुशांत के परिवार और फैन्स को यकीन हो गया है कि ये खुदकुशी नहीं मर्डर है। पुलिस और सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है वहीं ईडी भी लगातार पूछताछ कर रही है।

मामले में आदित्य ठाकरे का नाम भी सामने आया, अब रिया की वकील ने मंगलवार को एक स्टेटमेंट जारी किया जिसमें उन्होंने दावा किया है कि रिया कभी भी आदित्य ठाकरे से नहीं मिली हैं। वकील ने कहा है कि रिया ने कभी फोन पर भी आदित्य ठाकरे से बात नहीं की है।

रिया के वकील ने कहा कि मुंबई पुलिस और ईडी मामले की जांच कर रही है, लेकिन किसी के पास रिया के खिलाफ कुछ नहीं आया है। पुलिस की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट के पास बंद लिफाफे में है। ऐसे में अगर कोई तीसरी एजेंसी भी इस मामले की जांच करती है तो रिया को कोई दिक्कत नहीं है वो उसका पूरी तरह से सामना करने के लिए तैयार हैं।

स्टेटमेंट में कहा गया है कि रिया और सुशांत की बहन प्रियंका एक पार्टी में साथ गए थे, सुशांत की बहन ने उस दिन काफी शराब पी ली थी, रिया उन्हें लेकर घर आ गईं। रिया सुशांत के कमरे में सो रही थीं तो प्रियंका ने रिया के साथ दुराचार करने की कोशिश की। इसके बाद रिया ने सुशांत को ये बात बताई और सुशांत और प्रियंका के बीच इस बात को लेकर काफी लड़ाई हुई।

इस घटना के बाद से रिया और सुशांत के परिवार के बीच के रिश्ते खराब हो गए। इसके बाद सुशांत ने अपने परिवार से कहा कि वो मुंबई आ जाए और साथ रहे लेकिन परिवार ने उनकी बात नहीं मानी। सुशांत के काफी कहने पर उनकी बहन मीतू 8 जून को उनके घर रहने आईं। मीतू के आने से पहले रिया ने सुशांत का घर छोड़ दिया था।

रिया की वकील ने स्टेटमेंट में कहा- कानून के अनुसार, बिहार पुलिस को 0 एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और जांच मुंबई पुलिस को हस्तांतरित करनी चाहिए। मामले की जांच के लिए बिहार पुलिस के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। रिया एक अवैध जांच के लिए प्रस्तुत नहीं होगी। बिहार पुलिस द्वारा की जाने वाली जाँच की प्रकृति के बारे में मेरे क्लाइंट को आशंकित करने वाले विभिन्न कारण थे।

बिहार पुलिस ने 40 दिन से अधिक की देरी के बावजूद, शिकायत उसी दिन दर्ज कर ली। बिहार पुलिस ने बिना मेंरे मुवक्किल को जानकारी दिए मुंबई पहुंची। शिकायतकर्ता के अधिवक्ता के हवाले से कई अखबारों के लेख थे जिनमें कहा गया था कि बिहार पुलिस एफआईआर दर्ज करने में संकोच कर रही है लेकिन बिहार में राजनीतिक नेतृत्व के इशारे पर ऐसा किया। मेरे मुवक्किल ने आज तक किसी भी जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने से नहीं कतराया है, लेकिन वह एक एजेंसी द्वारा निष्पक्ष जांच की हकदार है, जिसके पास मामले की जांच करने के लिए अधिकार क्षेत्र है।

माननीय उच्चतम न्यायालय के 11 अगस्त 2020 को अंतिम सुनवाई से पहले की गई टिप्पणियों से यह स्पष्ट होता है कि यह सच्चाई की तुलना में राजनीति के बारे में अधिक हो गया है। अवांछित और अप्रासंगिक प्रस्तुतियाँ की जा रही हैं। बिहार में चुनाव से पहले इस मामले का लाभ उठाने की कोशिशहो रही है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button