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रोहिंग्या मुस्लिमों पर भौंकने वाले भक्तों…पहले पता करो ज्यादा शरणार्थी किस धर्म के और क्या है भारत की पॉलिसी: आज़ाद अली

देहरादून। म्यमार से खदेड़े गए रोहिंग्या मुसलमानों को भी भारत में रहने का है उतना ही हक़ है जितना कि अन्य देशों से आये शरणार्थियों को। ये कहना है उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आज़ाद अली का।

आज़ाद अली ने रोहिंग्या मुस्लिमों पर होने वाले अत्याचारों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि म्यमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर बुरी तरह से सितम ढाये जा रहे हैं किन्तु न तो यूनाइटेड नेशन और न ही अमेरिका जैसा देश इस मामले में कोई हस्तक्षेप करने को तैयार है। यहां तक कि चीन और बांग्लादेश तक रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने से किनारा कर चुका है। ऐसे में भारत को उदारता का परिचय देते हुए आगे बढ़कर इन पीड़ितों को अपनाना चाहिए। जिससे पूरे विश्व में भारत की उदार छवि बनेगी और भारत दुनिया में एक नया उदाहरण पेश कर सकेगा।

आज़ाद अली ने कहा कि यदि शरणार्थियों की ही बात की जाए तो भारत में शरण पाने वालों में तिब्बती, नेपाली, बांग्लादेश के चकमा शरणार्थी, अफगानी और श्रीलंका के तमिल शामिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत में करीब एक लाख से भी ज्यादा तिब्बतियों को शरण मिली हुई है। ये जमीन लीज पर ले सकते हैं और भारत में कहीं भी प्राइवेट नौकरियां कर सकते हैं। वहीं तमिल शरणार्थियों को खासकर तमिलनाडु में राज्य सरकार से सहायता मिली हुई है।

यही नहीं अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई शरणार्थियों को भारत में कई सुविधाओं से नवाजा गया है। ये लोग भारत में संपत्ति खरीदने, ड्राइविंग लाइसेंस हासिल करने, आधार कार्ड, पेन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने जैसी सुविधाये भारत में ले रहे हैं।

आज़ाद अली ने केंद्र की भाजपा सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर ये भेदभाव क्यों? जब भारत में सभी शरणार्थियों को समान अधिकार दिये जा सकते हैं तो रोहिंग्या मुसलमानों को अपनाने से मोदी सरकार क्यों परहेज़ कर रही है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में अपनी महानता का डंका पीटने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों इस मामले में महानता दिखाने से पीछे हट रहे हैं।

उन्होंने व्हाट्सएप, ट्विटर और फेसबुक पर रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ ज़हर उगलने वाले लोगों को नसीहत देते हुए कहा कि बगैर असलियत जाने किसी को भी दोषी करार दे देना ठीक नहीं है। उन्होंने देश की जनता से अपील की, कि बिना किसी तथ्य के आधी-अधूरी जानकारी को सोशल मीडिया में वायरल करने से बचें।

आज़ाद अली ने कहा कि जो लोग खुद ज़िंदा रहने के लिए संघर्ष कर रहे हों, जिनके सिर से छत उठ चुकी हो, जिनका आशियाना उजड़ गया हो और जो भीख में या छीना झपटी में लड-झगडकर मिले एक चावल के पैकेट से पूरे परिवार का पेट भर रहे हों वो गरीब लोग भला आतंकवादी कैसे हो सकते हैं। नाक तक डूबकर अपने मासूम बच्चों को काँधेपर लादकर आशियाना तलाशते ये लोग भला किसे नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो इन्हें हिराकत की नज़र से देखा जा रहा है।

आज़ाद अली ने केंद्र सरकार से मांग की है कि जिस तरह से देश में रह रहे अन्य देशों से आये शरणार्थियों को भारत में पनाह व उनके हक मयस्सर किये गए हैं ठीक वैसा ही व्यवहार रोहिंग्या मुसलमानों के साथ भी किया जाए। इससे ज्यादा कुछ नहीं तो मोदी जी को लाखों गरीबों की दुआएं जरूर नसीब होंगी। जिन दुवाओं के सहारे शायद वे अपने आने वाले ख्वाब भी पूरे कर पाएं।

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