रोटोमैक पर सीबीआई ने कसा शिकंजा
नयी दिल्ली। बैंकों से लिया 800 करोड़ रुपये का लोन न चुकाने के आरोपी रोटोमैक पेन कंपनी के प्रमोटर विक्रम कोठारी पर सीबीआई ने शिकंजा कस दिया है। बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर सीबीआई ने कोठारी के खिलाफ कर्ज का भुगतान नहीं करने का मामला दर्ज किया है। इसके अलावा, जांच एजेंसी ने विक्रम कोठारी के दफ्तर और आवासीय परिसरों पर छापेमारी भी की है। सीबीआई अधिकारियों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया है कि विक्रम कोठारी से भी पूछताछ की गई है।
बता दें कि कोठारी पर इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया समेत कई सार्वजनिक बैंकों को नुकसान पहुंचाने का आरोप है। कानपुर के कारोबारी कोठारी ने पांच सार्वजनिक बैंकों से 800 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज लिया था। सूत्रों के अनुसार कोठारी को कर्ज देने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने नियमों के पालन में बड़े पैमाने पर ढिलाई की।
बता दें कि रोटोमैक कंपनी से जुड़ा यह मामला ऐसे समय में उठा है, जब महज एक हफ्ते पहले ही पंजाब नेशनल बैंक में करीब 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी खुलासा हुआ है। कोठारी के भी हीरा कारोबारी नीरव मोदी की तरह देश छोड़कर जाने की खबर आई थी। हालांकि, बाद में उन्होंने कैमरे पर खुद आकर यह साफ किया था कि वह कहीं नहीं गए हैं। एक दिन पहले ही वह कानपुर में एक शादी में नजर आए थे। खबरों के मुताबिक, कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। उन्होंने कर्ज लेने के बाद कथित तौर पर ना तो मूलधन चुकाया और ना ही उस पर बना ब्याज।
पिछले साल कर्ज देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को विलफुल डिफॉल्टर घोषित किया था। इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी इलाहाबाद हाई कोर्ट गई थी। चीफ जस्टिस डी.बी.भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि कर्ज चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी, बैंक को गलत तरीके से सूची में डाला गया है।