आरएसएस संघियो का विवाह क्यों नहीं होने देता, संघ की यही नीति है तो विवाहित सीएम क्योंः आजाद अली
देहरादून। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की नीतियों पर निशाना साधते हुए उत्तराखण्ड कांग्रेस के प्रदेश सचिव आजाद अली ने संघ पर तीखा हमला किया है। आजाद अली ने मीडिया को जारी अपने एक बयान में कहा कि आखिर संघ की ऐसी क्या मजबूरी है जो वे अपने लोगों का विवाह नहीं होने देते। आजाद अली ने संघ के नियमों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आरएसएस के नियम प्रकृति के विरूद्ध हैं जिसमें आरएसएस को बदलाव के बारे में सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इस सृष्टि में उपर वाले ने स्त्री और पुरूष की रचना कर उन्हें धरती पर उतारा। प्रकृति ने स्त्री व पुरूष को एक-दूसरे का पूरक बनाया है। फिर भला संघ के लोग प्रकृति के नियम के विपरीत कैसे जा सकते हैं। उन्होंने आश्रम व्यवस्था का जिक्र करते हुए कहा कि हिन्दु धर्म में भी आश्रम व्यवस्था के तहत सन्यास को आखिर में जगह दी गई है। फिर भला संघियों पर अत्याचार कर उन्हें जबरन ब्रहमचारी या सन्यासी बनने को विवश क्यों किया जाता है।
आजाद अली ने हाल की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि देश में रोजाना ही किसी न किसी बाबा या सन्यासी के यौन शोषण के मामले में लिप्त होने की खबरें प्रकाश में छायी रहती हैं। उन्होंने ऐसी घटनाओं को उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा कि ये उन लोगों की यौन कुंठा ही है जो इस रूप में प्रकट हो रही है।
उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कोई मनुष्य किसी दूसरे मनुष्य की भावनाओं और ईच्छाओं को किसी खोखले नियम में आखिर क्यों बांधकर रखता है, जबकि संवैधानिक तौर पर सभी को अपनी ईच्छा से जीवन यापन करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि इस संवेदनशील मुद्दे पर चिंतन इसलिए भी आवश्यक हो गया है क्योंकि ये बात अब समाज में रोजाना ही खुलकर उठायी जा रही है और कहीं न कहीं देश की महिलाओं के लिए खतरा भी बन रही है।
आजाद अली ने कहा कि देश के प्रबुद्ध वर्ग को खासकर आरएसएस जैसे संगठन को इस विषय पर गंभीरता से चिंतन कर कोई ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। जिससे वो समाज में एक नया उदाहरण पेश कर सके।