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सांप्रदायिक तनाव के बीच हिन्दु-मुसलमानों ने पेश की अनोखी मिसाल

कोलकाता। पश्चिम बंगाल में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बीच दो समुदाय के लोगों ने क्षेत्र में शांति बहाल करने की एक अनोखी मिसाल पेश की है। सद्भाव प्रकट करने के लिए रानीगंज और आसनसोल में विभ‍िन्‍न धर्मों के लोगों ने शुक्रवार (30 मार्च) को एक-दूसरे को राखियां बांधी। यहां पर रामनवमी शोभायात्रा के दौरान सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी। एक अराजनैतिक संस्‍था, बांग्‍ला सांस्‍कृतिक मंच ने शुक्रवार को कोलकाता में एकेडमी ऑफ फाइन ऑर्ट्स के बाहर एक कार्यक्रम आयोजित किया। यहां विभिन्‍न धर्मों से ताल्‍लुक रखने वाले लोगो धार्मिक आधार पर भेदभाव की निंदा करने को एकत्र हुए।

आयोजनकर्ता मंच के अध्‍यक्ष समीरुल इस्‍लाम ने कहा,  ‘‘दो समुदायों के बीच ऐसी हिंसा देखना बंगाल की संस्‍कृति नहीं है। यह रबींद्रनाथ टैगोर और नजरुल इस्‍लाम की धरती है जिन्‍होंने हमें धार्मिक सद्भाव सिखाया है। इस कार्यक्रम के जरिए, हम लोगों को एक मजबूत संदेश देना चाहते हैं कि हम हिन्‍दू और मुसलमानों के बीच एकता के लिए खड़े हैं। यहां इन दो धर्मों के लोग एक-दूसरे को राखी बांधेंगे ताकि यह संदेश दूर तक और स्‍पष्‍ट रूप से जाए।”

यह संस्‍था ऐसे ही कार्यक्रम रानीगंज और आसनसोल में 14 अप्रैल को (बंगाली नववर्ष) पर आयोजित करेगी। मंच के महासचिव तन्‍मय घोष ने लोगों से राज्‍य में शांति बनाए रखने की अपील की। उन्‍होंने कहा, ‘‘यह और हिंसा भड़काने का समय नहीं, सांप्रदायिक सद्भाव पैदा करने का वक्‍त है।” कार्यक्रम में शिरकत करने वाले भाषा व चेतना समिति के महासचिव व बिधाननगर कॉलेज में असिस्‍टेंट प्रोफेसर, इमानुल हक ने कहा, पश्चिम बंगाल के गांवों में, ईद में हिन्‍दू बहुत कम अपने घरों में खाना खाते हैं।

इसी तरह, हिन्‍दू त्‍योहारों के समय मुस्लिम पंडालों और हिन्‍दू घरों में खाना खाते हैं। यह हमारी परंपरा रही है और हमें इसकी रक्षा करनी होगी। यहां तक कि हिन्‍दू शादियों में, हम मेहमानों को बिरयानी सर्व होते देखते हैं। यह एक उदाहरण है कि कैसे दोनों समुदाय एक-दूसरे एक जुड़े हुए हैं…। हक ने कहा, ‘‘आज, कुछ लोग गलत नीयत से इस सद्भाव को खत्‍म करना चाहते हैं। बतौर इस राज्‍य के नागरिक, ऐसी किसी की कोशिश को हमें शांतिपूर्ण तरीके से नाकाम करना होगा।”

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