संस्कृत में राज्यपाल पद की शपथ लेंगी बेबी रानी मौर्य
देहरादून। उत्तराखंड की नई राज्यपाल बनने जा रही बेबी रानी मौर्य ने संस्कृत में शपथ लेने की इच्छा क्या जताई है। इसके बाद शासन में हड़कंप मच गया। राज्यपाल के संस्कृत में शपथ लेने का कोई विधिक प्रावधान न होने के कारण आनन फानन नियमों में संशोधन करना पड़ा। संस्कृत में शपथ तैयार करने में भारी मशक्कत अलग से करनी पड़ी। संस्कृत के तमाम विद्वानों की मदद से देर रात तक शासन इसे अंतिम रूप देता रहा।
अब रविवार को संस्कृत दिवस के मौके पर मनोनीत राज्यपाल बेबी रानी मौर्य संस्कृत में शपथ ले सकेंगी। ऐसा करने वाली वह प्रदेश की पहली राज्यपाल होंगी। प्रदेश की मनोनीत राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने रविवार को शासन को सूचित किया कि वह संस्कृत में शपथ ग्रहण करेंगी। उनकी इस इच्छा ने शासन की कई खामियों को उजागर कर रख दिया। दरअसल, राज्यपाल के प्रदेश की दूसरी राजभाषा संस्कृत में शपथ लेने की कोई व्यवस्था अभी तक नियमों में है ही नहीं। जब नियमों को खंगाला गया, तब पता चला कि मुख्यमंत्री, मंत्री और विधायक तो संस्कृत में शपथ ले सकते हैं लेकिन राज्यपाल के बारे में ऐसी कोई व्यवस्था नियमों में नहीं है।
राज्यपाल के के लिए केवल हिन्दी या अंग्रेजी में ही शपथ लेने की बात कही गई है। इस पर शासन ने न्याय विभाग से सलाह ली। सूत्रों की मानें तो न्याय विभाग ने स्पष्ट किया कि मौजूदा व्यवस्था के मुताबिक यदि राज्यपाल संस्कृत में शपथ लेती हैं तो वह विधिसम्मत नहीं मानी जाएगी। गहन मंथन के बाद निर्णय लिया गया कि संस्कृत में शपथ लेने के संबंध में बने नियम में राज्यपाल का नाम भी शामिल किया जाए।
इस पर देर शाम को भाषा विभाग द्वारा नियमों में राज्यपाल के संस्कृत में शपथ लेने का प्रावधान करते हुए संशोधित अधिसूचना जारी की गई। शासन की चुनौती यहीं समाप्त नहीं हुई क्योंकि संस्कृत में शपथ भी तैयार की जानी थी। दरअसल, शपथ का एक निश्चित प्रारूप तय है। इसमें किसी शब्द को इधर-उधर नहीं किया जा सकता। अब पहली बार राज्यपाल को संस्कृत में शपथ दिलाई जानी है, लिहाजा शासन ने संस्कृत के विद्वानों की मदद लेने का निर्णय लिया। देर रात तक सभी शपथ पत्र के प्रारूप को अंतिम रूप देने में जुटे रहे। अपर सचिव भाषा आरके टम्टा ने राज्यपाल के संस्कृत में शपथ लेने की पुष्टि की।
उन्होंने कहा कि पहले राज्यपाल के संस्कृत में शपथ लेने के संबंध में कोई नियम नहीं था, इसलिए अब संशोधित अधिसूचना जारी की जा रही है। पहले दिखाई होती गंभीरता, तो न होती परेशानी ऐसा पहली बार नहीं है कि किसी राज्यपाल ने संस्कृत में शपथ लेने में रुचि दिखाई हो। इससे पहले पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने भी संस्कृत में शपथ लेने की इच्छा जताई थी। तब भी शासन ने नियमों का हवाला देते हुए उनसे संस्कृत में शपथ ग्रहण न करने का अनुरोध किया था। अगर उस वक्त ही शासन यह संशोधन कर लेता तो इस तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता।