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सरकार ने नर्सरी एक्ट में कड़े किये नियम, बंद हो जाएंगी प्रदेश की कई नर्सरियां

देहरादून। उत्तराखंड के किसानों को उन्नत किस्म के गुणवत्ता युक्त पौधे उपलब्ध कराने के लिए त्रिवेंद्र सरकार पहली बार प्रदेश में नर्सरी एक्ट लागू करने जा रही है, लेकिन इस एक्ट के कड़े नियमों से प्रदेश में चल रही कई नर्सरियां बंद हो जाएंगी। एक्ट के अनुसार प्रदेश में नर्सरी लगाने के लिए संचालक या किसान के पास 0.20 हेक्टेयर यानी 10 नाली निजी भूमि होनी जरूरी है।

वहीं, कृषि व औद्यानिकी विश्वविद्यालय से पौधशाला प्रबंधन का प्रशिक्षण प्राप्त करने का प्रमाण पत्र भी देना होगा, तभी नर्सरी लगाने के लिए लाइसेंस मिल सकेगा। प्रदेश में अभी तक नर्सरी लगाने के लिए जमीन की कोई सीमा निर्धारित नहीं थी, लेकिन नए नियमों के तहत नर्सरी मालिक के पास 10 नाली निजी भूमि अनिवार्य कर दी गई है। मैदानी क्षेत्रों में इतनी जमीन आसानी से मिल सकती है, लेकिन पर्वतीय क्षेत्रों में बिखरी कृषि जोत पर इतनी भूमि की व्यवस्था करना आसान नहीं होगा।

वहीं, सरकार ने एक्ट में यह प्रावधान भी कर दिया है कि नर्सरी संचालक को उद्यान विभाग, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अधीनस्थ संस्थान, कृषि व उद्यान विश्वविद्यालयों से पौधशाला प्रबंधन का प्रमाण पत्र देना अनिवार्य होगा, इसके बाद ही लाइसेंस मिलेगा।

जिन किसानों व संचालकों के पास प्रमाण पत्र नहीं होगा, वे नर्सरी नहीं लगा पाएंगे। वहीं, एक्ट के मुताबिक नर्सरी संचालक को पौधों की गुणवत्ता की गारंटी भी देनी होगी। घटिया पौधे बेचने पर संचालक को छह माह की कैद और 50 हजार रुपये जुर्माना की सजा हो सकती है।

प्रदेश में वर्तमान में सरकारी क्षेत्र की 93 व निजी क्षेत्र की करीब 150 नर्सरियां हैं। जहां से किसान हर साल विभिन्न प्रकार के फलदार पौधे खरीदते हैं। राज्य में सेब, अखरोट, खुमानी, आड़ू, नाशपाती, अमरूद, अनार की सबसे ज्यादा मांग रहती है। एक्ट के लागू होने के बाद प्रदेश में अधिकतर नर्सरियों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है।

प्रदेश केे कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार प्रदेश सरकार के लिए किसानों का हित सर्वोपरि है। पहली बार सरकार नर्सरी एक्ट लागू करने जा रही है। उम्मीद हैं इसके अच्छे परिणाम सामने आएंगे। अगर एक्ट लागू होने के बाद किसानों की ओर से कोई शिकायत दर्ज कराई जाएगी तो समस्या का समाधान किया जाएगा।

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