SC ने दूरसंचार कंपनियों को AGR में नहीं दी कोई राहत, स्टॉक धड़ाम
दूरसंचार कंपनियों को एजीआर में कोई राहत नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आज कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया।

नई दिल्ली। दूरसंचार कंपनियों Airtel, वोडाफोन आइडिया और TATA को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। सोमवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने एजीआर (Adjusted Gross Revenue) मामले में राहत देने से मना कर दिया। इन कंपनियों ने बकाये पर ब्याज, पेनल्टी और पेनल्टी पर लगने वाले ब्याज को माफ करने की मांग की थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं को गलत बताते हुए खारिज कर दिया। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की अगुवाई वाली पीठ ने याचिका को ‘चौंकाने वाला’ बताया और इसे ‘गलत’ माना।
45,457 करोड़ रुपये की छूट मांगी थी
यह फैसला वित्तीय संकट से जूझ रही वोडाफोन आइडिया द्वारा अपने दायर याचिका के एक दिन बात आया है। कंपनी ने एजीआर बकाये में 45,457 करोड़ रुपये की छूट मांगने की थी। वित्तीय संकट से जूझ रही दूरसंचार प्रमुख ने कहा था कि वह सरकार के समर्थन के बिना वित्त वर्ष 26 से आगे काम नहीं कर सकती है। कंपनी ने कहा था कि अगर उसे सरकार से समर्थन नहीं मिलता है, तो वह दिवालियेपन के लिए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) जाएगी। कंपनी पहले ही करीब 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने DoT के AGR कैलकुलेशन को सही ठहराया है। फरवरी में कोर्ट ने दूरसंचार कंपनियों की याचिका खारिज कर दिया था। इस याचिका में DoT के आकलन में कथित गलतियों को सुधारने की मांग की गई थी।
Vodafone Idea का शेयर करीब 9% टूटा
एजीआर का फैसला आने के बाद वोडा आइडिया के शेयर में बड़ी गिरावट देखी गई। शेयर 8.41% टूटकर 6.75 रुपये पर बंद हुआ। हालांकि, एययरटेल और टाटा टेली के शेयरों में ऐसी गिरावट नहीं रही। एयरटेल का शेयर मामूली तेजी के साथ 1,816.50 रुपये पर बंद हुआ। वहीं टाटा टेली का शेयर मामूली गिरावट के साथ 60.57 रुपये पर बंद हुआ। आपको बता दें कि वोडाफोन आइडिया पर सरकार का स्पेक्ट्रम बकाया 1.95 लाख करोड़ रुपये है। अगर कंपनी दिवालिया हो जाती है, तो सरकार को उसके 1.18 लाख करोड़ रुपये के बकाये की वसूली नहीं हो पाएगी। सालाना एजीआर भुगतान इसकी मौजूदा परिचालन नकदी आय 9,200 करोड़ रुपये से लगभग दोगुना है। इससे पहले सरकार ने भी नई राहत की मांग ठुकरा दी थी। दूरसंचार विभाग ने 29 अप्रैल को लिखे पत्र में कहा था कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के 2020 के फैसले के कारण एजीआर देनदारियों पर और रियायत के अनुरोध पर “विचार नहीं किया जा सकता”।