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उत्तराखंड में कांग्रेस ने इन नामों पर लगाई मुहर

देहरादून। लंबे इंतजार के बाद कांग्रेस ने उत्तराखंड में लोकसभा की पांचों सीटों के लिए शनिवार देर रात उम्मीदवारों के नामों का एलान कर दिया। कांग्रेस हाईकमान ने केंद्रीय महासचिव हरीश रावत, पूर्व विधायक अंबरीष कुमार, मनीष खंड़ूडी, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह और प्रदीप टम्टा पर भरोसा जताया है।

नैनीताल सीट पर कांग्रेस ने उत्तराखंड में अपने सबसे अनुभवी और मजबूत नेता हरीश रावत को टिकट दिया है। इस सीट पर हरीश रावत की दावेदारी का पार्टी के भीतर से ही विरोध था, लेकिन वह हाईकमान पर अपनी पकड़ के चलते टिकट लाने में सफल रहे। उनकी राह में अड़चन बिछाने के लिए ये भी तर्क दिए गए कि यदि वे चुनाव लडे़ंगे, तो फिर पहले चरण में ही होने जा रहे असम के चुनाव में प्रभारी का दायित्व कैसे निभाएंगे। मगर हरीश के बडे़ कद के आगे सब कुछ गौण हो गया।

हरीश रावत का लबा सियासी अनुभव है। पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व सीएम के अलावा वह कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष होने के कारण उनका हर जगह आधार है। वह सियासत का बड़ा नाम है। यह उनका मजबूत पक्ष है। इस सीट पर हरीश रावत विरोधियों की एकता उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। पार्टी के तमाम बडे़ नेता यहां हरीश के खुले विरोधी रहे हैं। उन्हें सबको साधना होगा।

हरिद्वार लोकसभा सीट में टिकट के दावेदारों में अंबरीश कुमार भी शुमार थे, लेकिन उनकी दावेदारी को बहुत ज्यादा मजबूत नहीं माना जा रहा था। समाजवादी पार्टी की बैकग्राउंड वाले दो बार के पूर्व विधायक अंबरीश कुमार के पक्ष में आखिरी पलों में स्थिति बदल गई। भले ही उन्हें कांग्रेस में हरीश रावत लेकर आए हों, लेकिन वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के वह नजदीक माने जाते हैं।

हरिद्वार के लिए अंबरीश कुमार एक जाना पहचाना नाम हैं। 1996 से 2002 तक दो बार वह हरिद्वार के विधायक रहे हैं। लिहाजा ज्यादातर क्षे़त्र उनका जाना पहचाना है। पार्टी में बहुत ज्यादा सक्रिय नहीं रहे हैं। इसलिए बहुत कम समय में ज्यादातर लोगों के बीच संपर्क साधना चुनौती है।

राज्यसभा के सदस्य प्रदीप टम्टा अल्मोड़ा से चुने गए हैं। कांग्रेस नेता प्रदीप टम्टा एमए, एलएलबी, बीएड की पढ़ाई कर चुके हैं। विद्यार्थी जीवन से ही वे जन संघर्षों से जुड़े रहे। कुमाऊं विवि अल्मोड़ा परिसर में 1981 में छात्र संघ अध्यक्ष रहे। नशा नहीं, रोजगार दो आंदोलन, चिपको आंदोलन में सक्रियता से भाग लिया। उत्तराखंड में चले तमाम जनसंघर्षों में जेल भी गए। उक्रांद और उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी के समर्थित प्रत्याशी के रूप में बागेश्वर में दो बार विधानसभा चुनाव लड़ा पर सफल नहीं हुए। फिर संघर्ष वाहिनी से अलग होकर उत्तराखंड शिल्पकार संगठन बनाया।

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बाद में हरीश रावत के आग्रह पर कांग्रेस में शामिल हो गए। सोमेश्वर से 2002 में विधानसभा चुनाव लड़ा और विजयी हुए। कांग्रेस सरकार में औद्योगिक विकास परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे। बाद में इस पद से इस्तीफा दे दिया था। 2007 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी अजय टम्टा से चुनाव हार गए। 2009 में वह अल्मोड़ा लोकसभा सीट से सांसद बने। 2014 में के पुन: लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2016 में कांग्रेस के टिकट पर वह राज्यसभा सदस्य चुने गए।

मनीष पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल भाजपा सांसद बीसी खंडूड़ी के बेटे हैं। मनीष पेशे से पत्रकार और आईटी जानकार हैं। मनीष फेसबुक इंडिया के न्यूज पार्टनरशिप के हेड भी हैं। उन्होंने बिजनेस स्टैंडर्ड, बिजनेस वर्ल्ड सरीखी पत्र-पत्रिकाओं के लिए पत्रकारिता की और सीएनएन के डिजिटल संस्करण से भी जुड़े।

इंजीनियर खंडूड़ी ने दिल्ली इंजीनियंरिंग कालेज से इंजीनियंरिंग की उपाधि लेकर, कैलाग से एमबीए की उपाधि प्राप्त की। 10 साल तक टर्नर ब्रदर के साथ काम भी किया। सामाजिक रुप से मनीष जय दुर्गा सामाजिक कल्याण संस्था के हेड के रुप में शिक्षा व स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। मनीष को 16 मार्च को हुई कांग्रेस की रैली में राहुल गांधी ने कांग्रेस ज्वाइन कराई थी।

वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह टिहरी सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी चुने गए हैं। प्रीतम सिंह की अपने क्षेत्र में राजनीतिक पकड़ इतनी मजबूत है कि कोई कांग्रेसी उनके खिलाफ टिकट की दावेदारी नहीं करता। पिता पूर्व मंत्री स्व. गुलाब सिंह से विरासत में मिली राजनीति के बाद प्रीतम सिंह ने पहली बार 1991 में कांग्रेस के टिकट पर आरक्षित सीट चकराता से चुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 1993 के चुनाव में प्रीतम पहली बार विधायक बने। 1996 के चुनाव में उन्हें फिर से पराजय मिली। राज्य गठन के बाद 2002, 2007 व 2012 के विस चुनाव में चकराता से लगातार तीन बार विधायक बने।

सूबे की सियासत में ऊंचा कद होने की वजह से दो बार की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बने। कांग्रेस के टिकट पर 2017 के विधान सभा चुनाव में प्रीतम ने निकटम प्रतिद्वंदी एवं भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी मधु चौहान को 1543 वोटों से हराया। वे उत्तराखंड के सर्वश्रेष्ठ विधायक पुरस्कार से सम्मानित हैं। उन्होंने जौनसार-बावर के त्यूणी, चकराता व कालसी में तीन तहसीलों का निर्माण और चकराता, त्यूणी व क्वांसी में तीन डिग्री कॉलेज की स्थापना।

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