वरिष्ठ भाजपा नेता अजय सोनकर ने देश के महान क्रांतिकारी व अमर बलिदानियों को दी श्रद्धांजलि
पूर्व पार्षद अजय सोनकर ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने के लिए क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड को अंजाम दिया था, इस मामले में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
देहरादून। वरिष्ठ भाजपा नेता, प्रसिद्ध जनसेवी एवँ वार्ड संख्या 18 इंदिरा कॉलोनी के पूर्व नगर निगम पार्षद अजय सोनकर उर्फ़ घोंचू भाई ने रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान एवं ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस पर उन्हें नमन किया एवं देश के महान क्रांतिकारी व अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी।
इस अवसर पर अमर बलिदानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता अजय सोनकर ने कहा कि मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की क्रांतिकारी धारा के प्रमुख सैनानियों राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।
पूर्व पार्षद अजय सोनकर ने कहा कि अंग्रेजों के खिलाफ चल रहे स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने के लिए क्रांतिकारियों ने काकोरी कांड को अंजाम दिया था, इस मामले में राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह और राजेंद्र लाहिड़ी को फांसी की सजा सुनाई गई थी। बिस्मिल, अशफाक और रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई लेकिन वह भी अलग-अलग जगहों पर। 19 दिसंबर को देश में शहादत दिवस मनाया जाता है। इस दिन का ऐतिहासिक और देशप्रेम के लिहाज से बहुत महत्व है। वहीं क्रांतिकारी राजेंद्र लाहिड़ी को भी 19 दिसंबर को ही फांसी दी जानी थी, लेकिन जनता के विद्रोह को देखते हुए राजेंद्र लाहिड़ी को गोंडा जेल में इसी तरह दो दिन पहले यानी 17 दिसंबर को फांसी पर चढ़ा दिया गया था।
जनसेवी अजय सोनकर ने काकोरी कांड का जिक्र करते हुए कहा कि काकोर कांड को अंजाम देने के कारण आजादी के इन मतवालों को सूली पर चढ़ाया गया था। वो 9 अगस्त 1925 की रात थी जब चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह समेत तमाम क्रांतिकारियों ने लखनऊ से कुछ दूरी पर काकोरी और आलमनगर के बीच ट्रेन में ले जाए जा रहे सरकारी खजाने को लूट लिया था। इतिहास में काकोरी कांड के नाम से दर्ज इस घटना ने गोरी सरकार को हिला कर रख दिया था। वहीं खजाना लूटे जाने के बाद चंद्रशेखर आजाद पुलिस के हाथ नहीं लगे थे लेकिन राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी और रोशन सिंह पुलिस के चंगुल में फंस गए। बाद में अंग्रेजी सरकार ने मुकदमा चलाकर देश के इन महान क्रांतिकारियों को सूली पर चढ़ा दिया था।