वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने की मांग, हिमाचल की तर्ज़ पर उत्तराखंड में भी सख्त हो भू-कानून

देहरादून। वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी, उत्तराखंड की बेटी, प्रसिद्ध जनसेवी एवं जनता कैबिनेट पार्टी (जेसीपी) की केंद्रीय अध्यक्ष भावना पांडे ने उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू करने की अपनी मांग को फिर दोहराया है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि उत्तराखंड में वर्तमान भू-कानून को कड़ा बनाया जाना चाहिए, ताकि इसके दुरुपयोग को रोका जा सके।
उत्तराखंड की बेटी भावना पांडे ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज़ पर उत्तराखंड में भी आज सख़्त भू-कानून की आवश्यकता है। उन्होंने राज्य में निवेश और उद्योगों को आकर्षित करने की दृष्टि से भू-कानून को अनावश्यक जटिल रूप देने से बचने का भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि कानून को सख्त बनाने के लिए प्रविधान के साथ यह भी ध्यान रखा जाए कि राज्य में निवेश की राह में कोई अड़ंगा न लगे।
उत्तराखंड में भू-कानून लागू करने की मांग को लेकर आंदोलन करते हुए वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे…#uttarakhan #उत्तराखंड_मांगे_भू_कानून #उत्तराखंडी_माँगे_भू_कानून pic.twitter.com/8XF0IG4BBj
— Bhawana Pandey (@officeBhawana) September 2, 2022
गौरतलब है कि वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे बीते काफी समय से उत्तराखंड में सख़्त भू-कानून लागू करने की मांग करती आईं हैं। इसी के चलते उन्होंने पूर्व में राजधानी देहरादून के पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क में धरना भी दिया था। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि आज उत्तराखंड में सख्त भू-कानून लागू करने की आवश्यकता है।
जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि बाहरी राज्यों से आये लोग तेजी से उत्तराखंड में काबिज होते जा रहे हैं। आलम ये है कि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं का हक़ छीना जा रहा है और बाहरी व्यक्तियों को नौकरियों पर रखा जा रहा है। यही नहीं राज्य की विभिन्न योजनाओं के टेंडर और ठेके आदि भी बाहरी राज्यों के लोग हथिया रहे हैं। पड़ोसी राज्यों से आये लोग धड़ल्ले से उत्तराखंड में ज़मीनें खरीद रहे हैं, जिससे बाहरी राज्यों के लोगों की तादाद यहाँ तेजी से बढ़ रही है।
जनसेवी भावना पांडे ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अभी भी समय है यदि समय रहते भू-कानून को लेकर सख्त कदम नहीं उठाए गए और ठोस नियम नहीं बनाए गए तो वो दिन दूर नहीं जब उत्तराखंड में बाहरी लोगों का ही बोलबाला होगा और राज्य का लाचार आम उत्तराखंडी पृथक राज्य होते हुए भी ग़ुलामी की ज़िंदगी जीने को विवश होगा।