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जम्मू कश्मीर में आर्टिकिल 370 खत्म होने के बाद बदले हालात, जानिए क्या कहती है वहां की जनता

नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर में आर्टिकिल 370 को खत्म हुए एक साल बीत गया है। इस एक साल में कश्मीर में बहुत कुछ बदल चुका है। सरकार ने जो दावे किए थे..वो कितने पूरे हुए, जमीनी हकीकत क्या है? क्या जम्मू कश्मीर से आंतकवाद और आतकंवादी कम हो गए? क्या कश्मीर में पत्थरबाजी बंद हो गई? क्या कश्मीर के गांवों में सड़क बिजली पानी का इंतजाम हुआ। क्या कश्मीरी आवाम को सरकारी योजनाओं को फायदा मिल रहा है? इन सब बातों की पड़ताल और जमीनी हकीकत जानने के लिए कश्मीर के गावों में पहुंचकर लोगों से बात की गई।

Kashmir

सबसे पहले साउथ कश्मीर की बात करते हैं। साउथ कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और पुलवामा ये वो जिले हैं जो किसी वक्त आतंकवादियों का गढ माने जाते थे। यहां के कई गावों में आतंकवादियों के हाइड़आउट्स हुआ करते थे। इन इलाकों के सबसे ज्यादा नौजवान रास्ता भटकते थे। इन्हीं इलाकों से AK 47 लिए आतंकवादियों की तस्वीरें सामने आती थी। लेकिन पिछले एक साल में यहां के हालात बिल्कुल बदल चुके हैं।

रिपोर्टर ने यहां जो कुछ भी देखा वो तस्वीर बिल्कुल अलग थी। अब यहां के ज्यादातर नौजवान..जिम में वर्कआउट करते दिख रहे हैं, दूसरी स्पोर्ट्स एक्टिविटी में शामिल नजर आते हैं। कोई बच्चा  स्नूकर खेलता दिखा तो कोई अपने दोस्तों के साथ कैरम बोर्ड। वहीं आतंकी समूह को ज्वाइन करनेवाले कश्मीरी युवाओं की संख्या में 40 फीसदी तक कमी आई है। यानी कश्मीर का नौजवान अब अपने करियर पर फोकस कर रहा है। अपने शौक पूरे कर रहा है और सरकार की तरफ से इन्फ्रास्ट्रक्चर भी उपलब्ध कराया गया है।
Jammu and kashmir

कश्मीर से अब रेडियो जॉकी निकल रहे हैं। यहां कि लड़कियों को सिलाई-कढ़ाई की ट्रेनिंग दी जा रही है, इसके साथ ही कंप्यूटर की भी ट्रेनिंग दी जा रही है। साउथ कश्मीर के लोगों का भी कहना है कि माहौल तो बदला है। साउथ कश्मीर के रेडियो जॉकी उमर निसार ने कहा कि सबसे बड़ा बदलाव तो लोगों की सोच में हुआ है। लोगों का सरकार के बारे में.. सिस्टम के बारे परसेप्शन बदला है और यह बदलाव तरक्की के रास्ते बनाएगा।

रिपोर्टर ने बताया कि इसी तरह की बातें नॉर्थ कश्मीर के लोग भी करते हैं। नॉर्थ कश्मीर के कुपवाड़ा, बांदीपोरा और बारामूला में भी कई जगहों पर आतंकियों ने अपने अड्डे बनाए थे। यहां ओवर ग्राउंड वर्कर्स का बड़ा नेटवर्क भी था जो आतंकवादियों की मदद के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट देते थे। इन सारी जगहों पर सिक्योरिटी फोर्सेस के ऑपरेशन्स चल रहे हैं लेकिन इसके साथ-साथ विकास के काम भी तेजी से हो रहे हैं।

जो सड़कें कई साल से अधूरी बनी पड़ी थी उन्हें पूरा बना दिया गया। सरकार का दावा  है कि जम्मू कश्मीर में पिछले साल 11 हजार किलोमीटर से ज्यादा की सड़कें बनी हैं। बाइस छोटे-बडे़ पुल बनकर तैयार हो चुके हैं और इन पुल को कनेक्ट करनेवाली सड़कों का काम भी पूरा किया गया है। इस साल भी अब जैसे-जैसे अनलॉक हो रहा है उसी हिसाब से आगे का डेवलपमेंट वर्क जोर पकड़ रहा है।

Jammu kashmir

रिपोर्टर ने यहां के लोगों से बात की। बारामूला में उन्हें टीचर्स का एक ग्रुप मिला। इन लोगों ने बताया कि आर्टिकल 370 खत्म होने के बाद शुरुआत में तो ऐसा लगता था कि हालात खराब हो जाएंगे। लेकिन जब वक्त बीतता गया तो धीरे-धीरे लोगों को अंदाजा होने लगा कि जो कुछ उन्हें बताया गया था..वो बिल्कुल गलत था। किसी के घर पर कब्जा नहीं किया गया। किसी की जमीन छीनी नहीं गई। सब कुछ नॉर्मल हो रहा है..लेकिन जहां तक बेरोजगारी की बात है तो सरकार को इस मुद्दे का भी हल ढूंढना चाहिए।

सरकार का दावा है पिछले एक साल में दस हजार कश्मीरी नौजवानों को रोजगार दिया गया है।अगले एक साल में 25 हजार सरकारी नौकरियां और मिलेंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक कश्मीर में चार लाख लोगों को डोमिसाइल सर्टिफिकेट मिला। यहां के गांव में बीस हजार विकास के छोटे-बड़े प्रोजेक्ट पूरे हुए। बॉडर्र के पास के गांव में भी बिजली पहुंची। राज्य में एक करोड़ तीस लाख लोगों को आयुष्मान योजना का लाभ मिला। स्कूली बच्चों को मिलने वाले वजीफे में 262 प्रतिशत का इजाफा हुआ। ऐसा तमाम आंकड़े सरकारी रिपोर्ट में मिलेंगे लेकिन इन आंकड़ों की हकीकत तो आवाम ही बताएगी। तंगधार सेक्टर के लोगों ने बताया कि 70 साल से बिजली के बारे में सिर्फ सुनते आए हैं। बिजली देखी नहीं।अब पावर प्रोजेक्ट बन रहा है तो रोशनी की उम्मीद तो जगी है।

कश्मीर में स्पोर्ट्स का जबरदस्त क्रेज है। हमारे रिपोर्टर को कश्मीर के दो खिलाड़ी मिले। क्रिकेट खेलने वाले शब्बीर अहमद और मार्शल आर्ट्स चैंपियन शाकिर अहमद डार। शब्बीर अंडर 19 में कश्मीर को रिप्रेजेंट करते हैं। उनका सपना है कि वो इंडिया की तरफ से खेलें। इसीलिए सरकार से गुजारिश करते हैं कि स्पोर्ट्स में इंफ्रास्ट्रक्चर बढाने की तरफ ध्यान दिया जाए। इसी तरह की उम्मीद..शाकिर अहमद को है जो मार्शल आर्ट्स और किक बॉक्सिंग में इंडिया के लिए कई मेडल्स जीत चुके हैं। शाकिर चाहते हैं कि अगर अच्छी फैसिलिटी मिलेगी तो कश्मीरी नौजवान भी देश के लिए मैडल जीत सकेंगे।

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