सांप से भी अधिक खतरनाक होते हैं ऐसे लोग, छाया भी पड़ गई तो होगा ये अंजाम
आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार दुष्ट लोगों पर आधारित है जिसमें उनकी तुलना सांप से की गई है।
”दुष्ट और सांप, इन दोनों में सांप अच्छा है, न कि दुष्ट। सांप तो एक बार ही डसता है लेकिन दुष्ट पग-पग पर डसता रहता है।” आचार्य चाणक्य
इस तरह के व्यक्तियों का सामाना आमतौर पर हर मनुष्य करता है। कई बार दोस्त के मुखौटे में या फिर रिश्तेदार के रूप में ऐसे व्यक्ति जिंदगी में जुड़ जाते हैं जो प्रवृत्ति से दुष्ट होते हैं। वो सामने तो आपका अच्छा ही चाहेंगे लेकिन पीठ पीछे की आपके बारे में बुरा सोचेंगे। उनसे न तो आपकी खुशियां बर्दाश होंगी और न ही वो आपकी खुशियों में दिल से शरीक होंगे। ऐसे व्यक्ति सांप से भी ज्यादा खतरनाक और जहरीले होते हैं।
सांप तो फिर भी मनुष्य को जिंदगी भर तकलीफ नहीं देता। वो एक बार में ही डसकर आपका काम खत्म कर देता है। लेकिन दुष्ट व्यक्ति घात लगाकर धीरे-धीरे हमला करते हैं। वो सामने तो कभी नहीं आते लेकिन आपकी जिंदगी में दोस्ती के नाम पर ऐसा जहर घोलते हैं कि आपको पता भी नहीं चलता और आप उनका शिकार हो जाते हैं। इसलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि सांप और दुष्ट में सांप ज्यादा अच्छा है।