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सुप्रीम कोर्ट के दबाव के आगे झुका बीसीसीआइ

नई दिल्ली । लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करने के लिए भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) और सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) के बीच चल रही रस्साकशी के बीच में कुछ राज्य संघों ने कई सिफारिशों को मानने की बात कही है। सीओए की तरफ से जून में बीसीसीआइ के सभी राज्य संघों को ईमेल जारी करके पूछा गया था कि आपने लोढ़ा समिति की किन-किन सिफारिशों को लागू कर दिया है इसमें कुछ राज्य संघों ने जवाब दिया है कि उन्होंने 90 फीसदी तक सिफारिशें लागू कर दी हैं। इसमें उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) का भी नाम शामिल है।

सीओए सूत्रों के मुताबिक यूपीसीए के कार्यवाहक सचिव युद्धवीर सिंह की तरफ से बुधवार को इस मेल के जवाब में लिखा गया है कि हमने लोढ़ा समिति की 90 फीसदी सिफारिशों को मान लिया है और सुप्रीम कोर्ट अगर आगे कोई और आदेश देता है तो बाकी सिफारिशों को भी मान लिया जाएगा। इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी होनी थी, लेकिन सुनवाई स्थगित हो गई।

जब यूपीसीए के पदाधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि हम अधिकतर सिफारिशें मान चुके हैं। हमारा कोई भी पदाधिकारी 70 वर्ष से ऊपर का नहीं है। कोई भी तीन वर्ष के कूलिंग ऑफ पीरियड में नहीं आता है। हमें लोकपाल भी नियुक्त कर दिया गया है। इसी वजह से आइपीएल चेयरमैन राजीव शुक्ला ने सचिव का पद छोड़ दिया था। हां, पांच की जगह तीन चयनकर्ता होने की सिफारिश अभी हम नहीं मान पाए हैं। इसको लेकर अदालत अगर आगे कोई आदेश देती है तो हम उसको भी मानेंगे।

हालांकि कई राज्य संघ ऐसे भी हैं जिन्होंने अभी तक अधिकांश सिफारिशों को अपने यहां लागू नहीं किया है। इन सिफारिशों के कारण ही हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के प्रशासक व पूर्व न्यायाधीश विक्रमजीत सेन ने सभी पदाधिकारियों को कार्यमुक्त कर दिया था। डीडीसीए में प्रशासक के अलावा कोई भी चुनाव में जीता हुआ पदाधिकारी नहीं है। यही नहीं हाईकोर्ट ने प्रशासक को कहा था कि जल्द से जल्द लोढ़ा समिति की सिफारिशों को लागू करते हुए नए चुनाव कराए जाएं, लेकिन अब तक यहां पर ऐसा नहीं हो सका है। एन. श्रीनिवासन के प्रभुत्व वाले तमिलनाडु क्रिकेट संघ और निरंजन शाह वाले सौराष्ट्र क्रिकेट संघ भी अधिकतर सिफारिशों के खिलाफ हैं।

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