थम नहीं रहे दलितों पर अत्याचार, दबंगों ने युवती को मार-पीटकर उतारा मौत के घाट
देहरादून। देशभर में दलितों पर हो रहे अत्याचार के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी हाल ही में राजस्थान के जालौर जिले में शिक्षक की पिटाई से दलित छात्र की मौत का मामला सामने आया था। घटना जिले के सायला थाना क्षेत्र के सुराणा गांव के एक निजी विद्यालय की है, जहां शिक्षक द्वारा दलित छात्र की जमकर पिटाई गई। मासूम का कसूर बस इतना था कि उसने ऊंची जाति वाले निजी विद्यालय के संचालक के मटके से पानी पी लिया था। इसी बात को लेकर उसकी बेरहमी से पिटाई की गई, जिससे उसकी मौत हो गई।
ऐसी ही एक वारदात राजधानी देहरादून के हर्रावाला में भी घटित हुई। दबंगों ने एक दलित परिवार को रास्ते के विवाद को लेकर बुरी तरह से मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। मामला बीते दिसंबर माह का बताया जा रहा है, जहां रास्ते के विवाद को लेकर राकेश कुमार के परिवार के साथ पड़ोस में रहने वाले ऊंची जाति के दबंगों ने मारपीट की। घटना की रिपोर्ट पीड़ित परिवार ने पुलिस में भी दर्ज करवाई, मगर मामले को दबंगों द्वारा दबा दिया गया।
यही नहीं युवती व उसके परिजनों के साथ दिसंबर 2021 के बाद अप्रैल 2022 में भी मारपीट का मामला सामने आया था। स्वजनों का आरोप है कि मारपीट में गंभीर रूप से घायल युवती तभी से बीमार रहती थी। परिजनों ने कई अस्पतालों में उसका उपचार भी कराया गया किन्तु उसे बचाया नहीं जा सका।
दलित युवती की इलाज के दौरान अस्पताल में मौत हो जाने से गुस्साए परिजनों व स्थानीय लोगों ने इंसाफ की मांग करते हुए। शनिवार को शव को हाईवे पर रखकर जाम लगा दिया। जिससे देहरादून आने वाले वाहनों का लंबा जाम लग गया। युवती की मौत के बाद स्वजनों ने आरोपितों की गिरफ्तारी की मांग लेकर हाईवे जाम कर दिया। इस प्रदर्शन में उनके साथ भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी शामिल हुए। गुस्साए लोगों ने खूब नारेबाजी की। इस दौरान प्रदर्शनकारियों के हाथ में भारत का संविधान पुस्तक भी दिखाई दी। प्रदर्शनकारी पुलिस प्रशासन से इंसाफ़ की गुहार लगाते हुए घटना के आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे।
वहीं मामला बढ़ते देख पुलिस ने जबरन शव को एंबुलेंस में रखकर हटवाया। इस दौरान पुलिस की प्रदर्शनकारियों से झड़प भी हुई और प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज भी किया गया। वहीं प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग कर उन्हें मार्ग से पूरी तरह से हटाकर ट्रैफिक सुचारू किया गया। मौके पर सीओ डोईवाला के साथ ही रानीपोखरी, नेहरू कॉलोनी, डोईवाला व आसपास के क्षेत्रों की पुलिस फोर्स तैनात रही। पीड़ित परिवार का आरोप है कि घटना के बाद से ही वे कईं बार पुलिस अधिकारियों से इंसाफ की गुहार लगा चुके हैं किंतु पुलिस द्वारा अभी तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कि गई। मृतका के परिजनों ने निराशा जाहिर करते हुए सरकार व प्रशासन से न्याय की मांग की है।
वाकई ताज़्ज़ुब होता है ये सोचकर कि हम किस युग में जी रहे हैं। देश आज़ादी के 75 वर्ष का अमृत महोत्सव मना रहा है किंतु आज भी हम ओछी मानसिकता के गुलाम बने हुए हैं। देश आज भी जाति व धर्म के बंधनों में बंधा हुआ है। आखिर ऊंच-नीच की बेड़ियों से हमारी मानसिकता को कब आज़ादी मिलेगी। देश के प्रधानमंत्री मोदी नए भारत के निर्माण की बाते करते हैं किंतु उसी भारत के भीतर लोग धर्म और जाति के नाम पर बंटकर लड़ रहे हैं। आज भी दलितों पर अत्याचार किया जाता है और पूरा सिस्टम तमाशबीन बना देखता रहता है। ऐसी घटनाएं हृदय को भीतर तक झकझोर देती हैं और सोचने को विवश कर देती हैं कि हम किस समाज में रह रहे हैं?