Breaking NewsUttarakhand

बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रही पहाड़ की जनता, राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे

देहरादून। पहाड़ का जीवन बेहद कठिन एवं संघर्ष भरा है, उत्तराखंड में आज भी अनेकों समस्याए मुंह बायें खड़ी हैं। इनमें सबसे बड़ी है पानी की समस्या, पहाड़ के निवासियों को आज भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसना पड़ रहा है। आलम ये है कि कईं जगह लोग बरसात का पानी पीकर जिंदगी गुज़ारने को विवश हैं। पहाड़ वासियों की इस दुर्दशा पर उत्तराखंड की बेटी एवँ जनसेवी भावना पांडे ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए दुःख जताया।

वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी भावना पांडे ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकांश महिलाएं हर रोज पानी के लिए घर से कोसों दूर जाती है। ये बड़े ही दुर्भाग्य की बात है कि जिस प्रदेश के निर्माण के लिए पहाड़ की महिलाओं ने घर की चारदीवारी लांघी उसी प्रदेश में आज भी महिलाओं को पानी की एक-एक बूंद के लिए कई तरसना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि किसी भी गाँव या शहर की बदहाल जिंदगी को आखिरकार एक दिन निजात मिल जाती है लेकिन उत्तराखण्ड के अनेकों गांव ऐसे हैं जहाँ के लोगों को राज्य स्थापना के बाईस साल व्यतीत होने के बावजूद मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है।

कईं किलोमीटर पैदल चलकर सिरपर पानी ढोकर लाती हुईं उत्तराखंड की महिलाएं

पहाड़ की बेटी भावना पांडे ने  टिहरी जनपद के एक गाँव का उदाहरण देते हुए कहा कि यहाँ लोगों को आज भी पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। ये गांव ग्राम वमुण्ड, ग्राम सभा पेराई विकास खण्ड नरेंद्र नगर जिला टिहरी गढ़वाल में है जहां आज भी बरसात का पानी पीकर गांव के लोग जीवन गुजारने को मजबूर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बजट सत्र में उत्तराखण्ड के पहाड़ों से पलायन को रोकने के लिए कई  योजनाओं को विकास से जोड़ने की बात कह रहे हैं परन्तु पहाड़ के कई गांव सरकार की विकास योजनाओं से अभी भी कोसों दूर है। पहाड़ के इन गाँव में पिछले कई वर्षों से सरकार के किसी भी नुमाइंदे ने ना तो कोई मुआयना ही किया और ना ही आजतक कोई सुध ली।

जनसेवी भावना पांडे ने कहा कि सरकार की अनदेखी का शिकार हुए बेबस ग्रामीणों के पास अब सिवाए पलायन के और कोई रास्ता नही बचा है। गांव में प्राकृतिक जल स्रोत सूख चुके हैं एवँ गांववासी बारिश का पानी एकत्र कर उसे पीकर अपना जीवन बसर करने को विवश हैं। बारिश के पानी को पीने की वजह से बच्चे व बुज़ुर्ग बीमार पड़ रहे हैं। ग्राम वमुण्ड ग्रामसभा पेराई, विकास खण्ड नरेंद्र नगर टिहरी गढ़वाल के निवासी पीने के पानी को तरस रहे हैं। ग्रामीणों को अपना जीवन बेहद दुखद व कष्ट के साथ गुजारना पड़ रहा हैं। जहाँ एक और भीषण गर्मी का प्रकोप है वहीं दूसरी और पानी की किल्लत से लोग तड़प रहे हैं।

बारिश का पानी एकत्र कर जीवन यापन करने को विवश हो रहे उत्तराखंड के ग्रामीण

उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं का वर्षों से इंतजार करते लोग अब थक चुके है। पहाड़ों में गाँवों की आबादी लगातार घट रही है। पानी के अभाव में खेती करना बेहद मुश्किल हो गया है।पहाड़ के लोग गांव छोड़ने को मज़बूर हो रहे हैं। कुछ जगहों पर पीने के पानी को लेकर सरकार द्वारा जो ट्यूवेल व हैंडपंप लगाए गए थे वो भी खराब पड़े है। महिलाओं को 10-12 किलोमीटर दूरस्थ पेयजल स्रोतों से पानी लाना पड़ रहा है, वहीं प्राकृतिक स्रोत भी धीरे-धीरे सूखने के कगार पर है।

सूखने की कगार पर पहुंच चुके हैंडपंप से पानी निकालने का प्रयास करते पहाड़ के बच्चे

जेसीपी अध्यक्ष भावना पांडे ने कहा कि पहाड़ में जो भी पेयजल योजना है, उनमें से अधिकतर या तो जर्जर है या फिर बहुत पुरानी है। बहुत से स्थानों पर जल वितरण की सही व्यवस्था नहीं है जो परेशानी का सबसे बड़ा सबब है। पेयजल की अधिकतर सरकारी योजनाएं नियमित रूप से मरम्मत न होने और खराब वितरण के चलते असफल साबित हो रही है। पहाड़ों में हज़ारों प्राकृतिक स्रोत या तो सूख चुके हैं या फिर सूखने की कगार पर है। जिससे सूबे के पर्वतीय क्षेत्रों में जल संकट में इजाफा हो रहा है। उन्होंने धामी सरकार से मांग करते हुए कहा कि पहाड़ वासियों की पेयजल समस्याओं का शीघ्र निराकरण किया जाये, जिससे पहाड़वासियों को राहत मिल सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button