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जीवन में बहुत सोच समझकर ही उठानी चाहिए ये तीन चीजें, वरना होगा ये अंजाम

आचार्य चाणक्य की नीतियां और विचार भले ही आपको थोड़े कठोर लगे लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। हम लोग भागदौड़ भरी जिंदगी में इन विचारों को भरे ही नजरअंदाज कर दें लेकिन ये वचन जीवन की हर कसौटी पर आपकी मदद करेंगे। आचार्य चाणक्य के इन्हीं विचारों में से आज हम एक और विचार का विश्लेषण करेंगे। आज का ये विचार सोच समझकर कदम, कसम और कलम उठाना चाहिए इस पर आधारित है।

‘कदम, कसम और कलम हमेशा सोच समझकर कर ही उठाना चाहिए।’ आचार्य चाणक्य

आचार्य चाणक्य के इस कथन का अर्थ है कि तीन चीजों को उठाते वक्त हमेशा सोचना और समझना चाहिए। ये तीन चीजें कदम, कसम और कलम हैं। इन तीनों को अगर एक बार भी उठा लिया और आगे बढ़ गए तो पीछे लौटना बहुत मुश्किल है। आचार्य चाणक्य अपनी इन लाइनों में जीवन के कड़वे सच का जिक्र कर रहे हैं।

ये तीनों ही चीजें भले ही अलग-अलग हों लेकिन इनके द्वारा बिना सोचे समझे उठाया गया एक कदम भी जीवन पर पछताने के लिए काफी है। जिस तरह से बढ़े हुए कदम को आगे नहीं लिया जा सकता है ठीक उसी प्रकार कलम से जो एक बार किसी पेपर, अखबार में लिख दिया तो उसे मिटाना भी संभव नहीं है। ऐसे ही कसम भी है। किसी को भी कसम देना और उसे निभाने में जमीन आसमान का अंतर है।

कई बार जिंदगी में हम लोग ऐसे मोड़ पर होते हैं कि क्या करना है और क्या नहीं कुछ भी समझ नहीं आता। उदाहरण के तौर पर कई बार पारिवारिक झगड़े होने पर लोग घर छोड़ने का भी फैसला ले लेते हैं। गुस्से में लिया गया ये कदम आपके लिए मुसीबत का सबब बन सकता है। हो सकता है कि कुछ दिन बाद आप शांत होकर अपने घर वापस भी लौट आए लेकिन उस कदम की पीड़ा आपको जिंदगी भर अंदर ही अंदर कचोटती रहेगी। कलम की बात करें तो घर बैठे कॉपी पर लिखे हुए शब्दों को मिटाना तो आपके हाथ में हैं लेकिन जब बात कानूनी हो तो ये आपके बस से बाहर होती है। कानूनी पेचीदगियों में जो भी शब्द लिखे जाते हैं उन्हें मिटाना मुश्किल है।

ठीक इसी तरह कसम भी है। किसी को कसम देना तो आसान होता है लेकिन कसम को निभाना बहुत मुश्किल। इसीलिए आचार्य चाणक्य ने कहा है कि कदम, कसम और कलम हमेशा सोच समझकर कर ही उठाना चाहिए।

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