खनन पट्टों को लेकर सामने आई ये बड़ी खबर, पढ़िए पूरी अपडेट
Dehradun News : शासन ने कैबिनेट के निर्णयों के क्रम में उत्तराखंड उप-खनिज परिहार नियमावली (2023) जारी कर दी है। इस नियमावली में निजी नाप भूमि के पट्टों को ई-नीलामी से बाहर कर दिया गया है। अब केवल सरकारी भूमि के पट्टों की ही ई-नीलामी होगी। खनन पट्टों के आवंटन में स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट स्वामियों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही पट्टे पर पांच वर्ष तक के लिए दिए जाएंगे।
देहरादून। उत्तराखंड शासन ने कैबिनेट के निर्णयों के क्रम में उत्तराखंड उप-खनिज परिहार नियमावली (2023) जारी कर दी है। इस नियमावली में निजी नाप भूमि के पट्टों को ई-नीलामी से बाहर कर दिया गया है। अब केवल सरकारी भूमि के पट्टों की ही ई-नीलामी होगी। खनन पट्टों के आवंटन में स्टोन क्रशर व स्क्रीनिंग प्लांट स्वामियों को प्राथमिकता दी जाएगी।
पांच वर्ष के लिए भूमि को दिए जायेंगे लीज पर
इसके साथ ही सरकार ने पर्वतीय व मैदानी क्षेत्र में आवेदन शुल्क एक समान रूप से एक लाख रुपये किया है। निजी नाप भूमि के पट्टों पर आवेदन शुल्क दो लाख रुपये और पांच हेक्टेयर से अधिक भूमि के लिए आवेदन शुल्क पांच लाख रुपये होगा। ये पट्टे पांच वर्ष तक के लिए दिए जाएंगे।
अवैध खनन पर रायल्टी का दोगुना जुर्माना
अवैध खनन पर जुर्माना अब रायल्टी का दोगुना किया गया है। इसके बाद यह जुर्माना तीन गुना होगा। पहले यह अर्थदंड रायल्टी का पांच गुना और अर्थदंड दो लाख रुपये था। शासन द्वारा जारी नई नियमावली के अनुसार अब खनन पट्टे के स्थल की जांच उप जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित समिति करेगी। इसके साथ ही नियमावली में पट्टों के हस्तांतरण पर भी शुल्क लागू कर दिया है। इसके तहत पांच हेक्टेयर से कम के पट्टों के हस्तांतरण पर शुल्क पांच लाख रुपये और इससे अधिक पर 10 लाख रुपये होगा।
खनन पट्टों की नीलामी को लेकर सख्त प्रक्रिया
फर्म में भागीदार का नाम जोड़ने व कम करने के लिए यह शुल्क दो लाख रुपये प्रति भागीदार रखा गया है। खनन पट्टों की नीलामी को लेकर भी प्रक्रिया को सख्त किया गया है। यह स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी पट्टे के लिए सर्वाधिक बोली लगाने वाला आवेदक 15 दिनों के भीतर इसके पैसे जमा नहीं करेगा तो उसकी 25 प्रतिशत सिक्योरिटी जब्त कर ली जाएगी। इसके बाद दूसरे स्थान पर रहने वाले बोलीदाता और फिर तीसरे स्थान पर रहने वाले बोलीदाता को पहले बोलीदाता द्वारा लगाई गई कीमत पर काम करने को कहा जाएगा। अगर कोई इसके लिए तैयार नहीं होगा तो फिर नए सिरे से टेंडर किए जाएंगे।
25 वर्ष के लिए सोपस्टोन को पट्टों पर देने का फैसला
यह भी स्पष्ट किया गया है कि खनन पट्टा के लिए जिस दिन लीज डीड पंजीकृत होगी, उस दिन से उसकी अवधि पांच साल के लिए होगी। इसके अलावा इसका लाभ उन्हें भी दिया गया है जिनके खनन पट्टे इस वर्ष 31 दिसंबर तक के लिए हैं। साथ ही नियमावली में सोपस्टोन को पट्टों को 25 वर्ष तक देने का निर्णय लिया गया है। पहले पांच हेक्टेयर से अधिक के पट्टे 50 साल तक के लिए दिए जाते थे। इसमें पर्वतीय व मैदानी क्षेत्र की परिभाषा, पट्टों का प्रकार व ई-नीलामी प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।