तुलसी गबार्ड ने मांगी माफी, जानिए वजह
वॉशिंगटन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 सितंबर को ह्यूस्टन में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ हाउडी मोदी इवेंट में हिस्सा लेंगे। अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड ने इससे पहले एक वीडियो मैसेज जारी कर प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, मुझे बेहद खुशी हो रही है कि हाउडी मोदी से पूरे अमेरिका में रहने वाले भारतीय और हिंदुओं को साथ आने का मौका मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने खुद इस इवेंट को शामिलन होने पर दुख जताया। गबार्ड ने कहा कि 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के मद्देनजर पहले से ही कुछ कार्यक्रम तय हैं, इसलिए हाउडी मोदी में नहीं जा पाऊंगी।
गबार्ड ने मैसेज की शुरुआत नमस्ते से की। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा और पुराना लोकतंत्र है। भारत और अमेरिका को जलवायु परिवर्तन, परमाणु युद्ध रोकने और लोगों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए साथ काम करना चाहिए। उन्होंने वसुधैव कुटुम्बकम का जिक्र करते हुए कहा कि हमें साथ आकर ऐसी साझेदारी बनानी चाहिए, जिससे विकास, समानता, सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण को बढ़ावा मिले। इससे पहले भी एक ट्वीट में गबार्ड ने कहा था कि वे मोदी के कार्यक्रम में हिस्सा नहीं ले पाएंगी, लेकिन उनसे मिलने की कोशिश करेंगी।
अमेरिका की पहली हिंदू सांसद तुलसी गबार्ड ने 2020 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए आधिकारिक दावेदारी पेश कर दी है। तुलसी 2013 से अमेरिका के हवाई राज्य से हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में डेमोक्रेट सांसद हैं। अगर तुलसी ट्रम्प के खिलाफ डेमोक्रेट उम्मीदवार चुनी जाती हैं और चुनाव जीत जाती हैं तो वे अमेरिका की सबसे युवा और पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। वे अमेरिका की पहली गैर-ईसाई और पहली हिंदू राष्ट्रपति भी होंगी।
गबार्ड का जन्म अमेरिका के समोआ में एक कैथोलिक परिवार में हुआ था। उनकी मां कॉकेशियन हिंदू हैं। इसी के चलते तुलसी गबार्ड शुरुआत से ही हिंदू धर्म की अनुयायी रही हैं। सांसद बनने के बाद तुलसी पहली सांसद थीं, जिन्होंने भगवद्गीता के नाम पर शपथ ली थी।
यह तीसरा मौका है जब मोदी अमेरिका में इतनी बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय को संबोधित करेंगे। मई में दूसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी का यह पहला अमेरिका दौरा होगा। उनके पहले दो इवेंट 2014 में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वेयर गार्डन और 2016 में सिलिकॉन वेली में हो चुके हैं। इन कार्यक्रमों में 20 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे।