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एमडीडीए के मास्टरप्लान को लेकर संयुक्त नागरिक संगठन ने लिखा पत्र, की ये मांग

संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने बताया है की प्राधिकरण द्वारा 1984 से लेकर 38 सालों में अनेक योजनाएं बनाई गई जिनका अधिकांशतः उद्देश्य भूमाफियाओं, बिल्डरों को लाभ पहुंचाना था। विशेषज्ञों द्वारा सैकड़ों आपत्तियां सुझाव भी तत्कालीन समय में दिए गए जो रद्दी की टोकरी में फेंक दिए गए।

देहरादून। एमडीडीए के मास्टरप्लान को लेकर संयुक्त नागरिक संगठन ने पत्र लिखकर अपनी मांग रखी है। वर्ष 2041 तक के लिए प्रस्तावित एमडीडीए के मास्टरप्लान पर आपत्तियां/सुझाव प्राप्त करने हेतु निर्धारित तिथि 31 दिसंबर 2023 तक किए जाने की मांग करते हुए संयुक्त नागरिक संगठन की ओर से प्राधिकरण के उपाध्यक्ष को पत्र लिखा गया है। संयुक्त नागरिक संगठन द्वारा लिखे मांग पत्र मे बताया गया है कि वर्ष 2025 तक के लिए प्रस्तावित प्राधिकरण का मास्टरप्लान जो माननीय उच्चतम न्यायालय के स्थगन आदेश के अंतर्गत क्रियान्वित है, की अंत्येष्टि से ढाई साल पहले ही संदर्भित नया प्लान जल्दबाजी मे प्रस्तुत करते हुए इस पर आपत्तियां प्राप्त करने हेतु 30 अप्रैल 23 निर्धारित की गई है।

संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने बताया है की प्राधिकरण द्वारा 1984 से लेकर 38 सालों में अनेक योजनाएं बनाई गई जिनका अधिकांशतः उद्देश्य भूमाफियाओं, बिल्डरों को लाभ पहुंचाना था। विशेषज्ञों द्वारा सैकड़ों आपत्तियां सुझाव भी तत्कालीन समय में दिए गए जो रद्दी की टोकरी में फेंक दिए गए। आज राजधानी मे अतिक्रमित सड़कों,बॉटल नेक, संकीर्ण फुटपाथो के कारण आमजन मानसिक शारीरिक कष्ट झेलने को मजबूर हैं लेकिन सड़कों पर यातायात के दबाव से लगते जाम से मोक्ष दिलाने मे सरकार असमर्थ है। प्रदूषित पेयजल, वायु, ध्वनी, खाद्यपदार्थो के कारण बीमारो की संख्या बढती जा रही है तथा जलभराव सीवरेज नालो मे गन्दगी की समस्याएं यथावत हैं।

रिस्पना व बिंदाल नदियां गंदगी का प्रतीक है, यहां रिवर डेवलपमेंट फ्रंट योजना का भट्टा बैठ गया है। अवैध बस्तियां, घने होते कंक्रीट के जंगल प्राधिकरण के औचित्य पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे है। जनहितो की उपेक्षा कर हाईराइज बिल्डिंग निर्माण की नईपरिकल्पना के पर्यावरणीय हितो के विरुद्ध है। मांग की गई है कि प्रस्तावित योजना को आमजन तक सुलभ कराने तथा आपत्ति दर्ज कराने हेतु इसका पूर्ण विवरण सभी समाचार पत्रों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया जाए। दून के सभी 100 वार्डों में वार्ड वार सार्वजनिक बैठकें आयोजित कर मौखिक/ लिखित सुझाव लिए जाएं। इस हेतु ईमेल आईडी भी जारी कराते हुए आपत्तियां प्राप्त करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2023 निर्धारित कराते हुए जल्दबाजी से बचा जाय। पत्र कि प्रतिलिपि मुख्यमंत्री मुख्यसचिव शहरी विकास सचिव को भी भेजी गई है।

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