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उत्तर भारत में ओलावृष्टि और आंधी-तूफान की चेतावनी

नई दिल्ली/देहरादून । मौसम विभाग ने पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से अगले दो दिनों में पंजाब, दिल्ली और पश्चिमी उत्तरप्रदेश सहित उत्तर भारत के कुछ राज्यों में छिटपुट स्थानों पर गरज के साथ आंधी तूफान और ओलावृष्टि की चेतावनी दी है। ‘मौसम विभाग ने यह भी कहा है कि जम्मू कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में 12 फरवरी को भारी बर्फबारी हो सकती है। आईएमडी ने कहा है कि अफगानिस्तान के मध्य भाग पर सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ बना हुआ है। इसके अगले 48 घंटे में उत्तर-पश्चिम भारत की ओर बढ़ने का अनुमान है। इससे अगले 24 घंटे में दक्षिणी पाकिस्तान और पड़ोस में तूफानी प्रवाह बनने की आशंका है।

पश्चिमी विक्षोभ पश्चिम की ओर से हवा से प्रेरित गैर मानसूनी वर्षा प्रारूप है। उत्तर-पश्चिम और इससे लगे मध्य भारत के मैदानी इलाके में आज से अफगानिस्तान की ओर से इस पश्चिमी विक्षोभ और निचले स्तर की पूर्वी हवाओं के बीच टकराव होगा। इस दो प्रणाली के प्रभाव से 13 फरवरी को पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में बारिश या बर्फबारी का अनुमान है। मौसम विभाग ने कहा है कि 11-13 फरवरी के बीच उत्तरी और मध्य भारत में छिटपुट से लेकर कुछ स्थानों पर भारी बारिश होने की आशंका है।

हालांकि देश के बाकी हिस्से में अगले दो-तीन दिनों में तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद नहीं है। मौसम विभाग ने कहा है कि आज जम्मू, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, पश्चिमी उत्तरप्रदेश, पूर्वी राजस्थान और विदर्भ के छिटपुट स्थानों पर आंधी तूफान तथा ओलावृष्टि होने की आशंका है।

उत्‍तराखंड में बारिश के आसार:

उत्तराखंड में मौसम की बेरुखी के बीच मौसम विभाग का पूर्वानुमान उम्मीदों से भरा है। रविवार से सूबे में मौसम रंग बदल सकता है और महाशिवरात्रि तक पहाड़ों में हल्की से मध्यम वर्षा के आसार बन रहे हैं। ऊंचाई वाले कुछ स्थानों पर बर्फबारी की भी संभावना है। प्रदेश में लंबे समय से मौसम शुष्क बना हुआ है। इसका असर खेती पर भी नजर आने लगा है। कृषि और राजस्व विभाग के सर्वेक्षण के मुताबिक राज्य में कम बारिश के कारण गेहूं की फसल को दस से तीस फीसद नुकसान पहुंचा है। इनमें सर्वाधिक प्रभावित रुद्रप्रयाग और अल्मोड़ा हैं।

यहां यह आंकड़ा क्रमश: 30 और 20 फीसद है। इसके अलावा चम्पावत, चमोली और उत्तरकाशी की रिपोर्ट मिलनी अभी बाकी है। उत्तराखंड के कृषि मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि कम बारिश के कारण फसलों को नुकसान की आशंका है, लेकिन शुरुआती रिपोर्ट में यह ज्यादा चिंताजनक नहीं है, लेकिन प्रभावित किसानों को राहत देने पर सरकार विचार कर रही है।
दूसरी ओर राज्य मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि एक जनवरी से एक फरवरी तक बारिश में 73 फीसद की कमी रही है। आमतौर पर इस अवधि में 65.1 मिमी बारिश होती है, जो इस बार 17.5 मिमी रही। इसी तरह पिछले नवंबर और दिसंबर में यह कमी 66 फीसद रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) सक्रिय होने लगा है। इससे कुछ इलाकों में मध्यम वर्षा भी हो सकती है। इससे खेती-किसानी को कुछ राहत मिल सकेगी।

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