उत्तराखंड के बड़े अधिकारी की भूमिका सवालों के घेरे में, पूर्व राज्यमंत्री मनीष वर्मा ने खड़े किए सवाल
देहरादून। भाजपा के वरिष्ठ नेता व उत्तराखंड के पूर्व राज्यमंत्री मनीष वर्मा ने उत्तर प्रदेश के सम्माननिय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के स्व0 पिता के पितृ कर्म के नाम पर उत्तर प्रदेश के 11 लोगो को उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा जारी की गई संस्तुति की निंदा की है ।
उसके बाद अपर मुख्य सचिव का जिलाधिकारी देहरादून व अपर जिलाधिकारी देहरादून पर मामला थोपना निन्दनीय है क्योंकि जब शासन के अपर मुख्य सचिव संस्तुति कर रहे हो तो किस अधिकारी की हिम्मत है कि पास जारी न करे और सलाम तो उस एसडीएम को है जिसने उन्हें रोका व वापिस कर दिया।
श्री वर्मा ने कहा कि खुद योगी आदित्यनाथ स्वयं लॉक डाउन के नियमो के अनुपालन के चलते व आम जन मानस में गलत संदेश न जाये, इस कारण स्वयं भी पितृ कार्य मे शामिल नही हो पाए और उत्तराखंड के अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश को यह बात समझ नही आई कि ऐसा कैसे सम्भव हो सकता जबकि उत्तर प्रदेश के 11 लोग योगी आदित्यनाथ के रिश्तेदार भी नही है ।
आपको बता दे कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार के पास लॉक डाउन के दौरान असंख्य मेडिकल इमरजेंसी के पास की प्रार्थना आई थी जिसमे अधिकतर रिजेक्ट कर दिए गए थे व बहुत कम ही पास जारी हों पाए थे। साथ ही किसी भी विधायक व मंत्री तक को बिना पास घूमने की अनुमति नही थी। मुम्बई में बधावन बंधु के मामले में महारास्ट्र के गृह सचिव को कड़ी फटकार मिली थी तथा बिहार के विधायक का कोटा आने जाने का मामला देश की मीडिया का सुर्खिया बना था।
श्री वर्मा ने कहा कि अपर मुख्य सचिव ओम प्रकाश द्वारा पहले भी सुभारती मेडिकल कॉलेज प्रकरण में 300 मेडिकल छात्रो से खिलवाड़ किया व फर्जी मेडिकल कॉलेज को NOC /फीस संबंधित व छात्रो की काउंसिलिंग बिना उसकी सच्चाई जाने करवा दी बाद में सभी छात्रो को सुप्रीम कोर्ट की शरण लेनी पड़ी व 300 छात्रो को राज्य के 3 मेडिकल कॉलेजो में ठूंस- ठूस कर भरना पड़ा जिससे राज्य सरकार के ऊपर 1 अरब 17 करोड़ का अतिरिक्त अधिभार पड़ा और फजीहत अलग हुई । तथा इसी प्रकार कई मुद्दे मीडिया की सुर्खियां बने थे।
श्री मनीष वर्मा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्य सभा सांसद अनिल बलूनी, केंद्रीय सचिव श्री भल्ला व प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत से अनुरोध किया किया है कि वह इस मामले पर संज्ञान ले और पता करे कि जब दूसरे प्रदेश से यहां 11 लोग आए तो क्या बार्डर पर उनकी स्वास्थ्य जॉच की गई व नियम अनुसार 14 दिन उन्हें क्वांटराइन किया जाना था, तो नियम क्या दुनिया मे बाकियों के लिए है? इनके लिये नही था? क्योंकि अपर मुख्य सचिव के पत्र का दबाव था? क्योंकि भाजपा जीरो टॉलरेन्स की सरकार है और डबल इंजन की इस सरकार में विपक्ष पार्टी या सरकार पर आरोप लगाए यह पार्टी को मंजूर नही है।