उत्तराखंड पेंशनर समन्वय समिति ने किया विशेष बैठक का आयोजन
राज्य अतिथि गृह रेसकोर्स में पूर्व अपर सचिव सुमन सिंह वाल्दिया की अध्यक्षता में एक बैठक संपन्न हुई, जिसका संचालन सचिवालय सेवानिवृत वेलफेयर समिति के उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र भट्ट ने किया।
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देहरादून। राज्य के पेंशनर्स तथा कार्मिकों की चिकित्सा व्यवस्था को निजी बीमा कंपनियों के माध्यम से संचालित करने के शासकीय सुझाव का उत्तराखंड पेंशनर समन्वय समिति ने स्वागत किया है। पेंशनर्स की मांगों व सुझावों को लेकर शिष्टमंडल शासन के अधिकारियों से मिलेगा।
राज्य अतिथि गृह रेसकोर्स में पूर्व अपर सचिव सुमन सिंह वाल्दिया की अध्यक्षता में एक बैठक संपन्न हुई, जिसका संचालन सचिवालय सेवानिवृत वेलफेयर समिति के उपाध्यक्ष गिरीश चंद्र भट्ट ने किया।
बैठक में पेंशनर्स ने कहा कि गोल्डन कार्ड धारी पेंशनर्स कार्मिकों के इलाज का पूरा खर्चा 2021 तक राज्य सरकार पूरी तरह खुद अपनी जिम्मेदारी उठाकर वहन करती थी। पर 2021 से राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की गोल्डनकार्ड योजना में दोनों वर्गों के द्वारा माहवार खुद अपनी पेंशन से पैसा कटाने के बाद भी अब पूरी सुविधा न मिलना प्राधिकरण की अक्षमता का सबूत है। यदि निजी अस्पतालों का कुछ बकाया भी है तो इसके भुगतान की अतिरिक्त व्यवस्था की जिम्मेदारी पूर्णतया सरकार की बनती है।
बैठक में पेंशनर्स की सेवानिवृत्ति पर जारी काॅम्यूटेशन पॉलिसी की अवधि को 15 साल से 10.8 साल की जाने की मांग पर शासन द्वारा की जा रही कार्रवाई पर संतोष व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की गई कि इस पर शीघ्र अंतिम निर्णय लिया जाएगा जिससे पेंशनर्स के आर्थिक शोषण से आजादी मिल सकेगी।
पेंशनर्स की मांग थी कि राज्य के सरकारी तथा गैर सरकारी अस्पतालों में इनके इलाज में आ रही बाधाओं के निराकरण के लिए जिला अधिकारी/मुख्य चिकित्सा अधिकारी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाए जिससे जनपद स्तर पर ही इनका निराकरण हो सके क्योंकि दुर्गम क्षेत्रों के बीमार पेंशनर्स प्राधिकरण के दून कार्यालय में आने में असहाय है।
पेंशनर्स का सुझाव था कि स्वास्थ्य प्राधिकरण की योजना के अंतर्गत चिकित्सा प्रतिपूर्ति के बिलों के भुगतान में आई बाधाओं के स्थाई निराकरण हेतु विभागीय आहरण वितरण अधिकारी के स्थान पर मुख्य/ वरिष्ठ कोषाधिकारियों को यह जिम्मेदारी दी जाए क्योंकि संबंधित विभागीय अधिकारी तथा पेंशनर्स के निवास के जनपदों के बीच की दूरियां बहुत अधिक है और बीमार पेंशनर्स बार-बार विभागीय कार्यालयो के चक्कर लगाते अजीज आ चुके हैं। इससे इन अशक्त वृद्धावस्था में गुजर बसर कर रहे राज्य के सेवानिवृत पूर्व अधिकारियों कार्मिकों के शारीरिक, आर्थिक मानसिक उत्पीड़न को रोका जा सकेगा।
पेंशनर्स की यह भी मांग थी कि 30 जून तथा 31 दिसंबर को सेवानिवृत होने वाले कार्मिकों को एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि उत्तर प्रदेश की भांति वर्ष 2006 से ही स्वीकृत करने हेतु उत्तराखंड में जारी शासनादेश को संशोधित किया जाए क्योंकि इसमें यह सुविधा 2006 से ही लागू करने के निर्देश नहीं है।
बैठक में उत्तराखंड में जारी 2 सितंबर 2024 के शासनादेश में राज्य के कार्मिको के वेतन बचत खातो को बैंकों के कारपेट सैलरी पैकेज से पेंशनर्स को भी इस योजना से जोड़े जाने की मांग की गई जिससे इन्हें भी व्यक्तिगत बीमा कवर के साथ-साथ अन्य लाभ भी बैंकों से निशुल्क मिल सकेंगे।
बैठक के अंत में कुछ पेंशनर्स की ये भी मांग थी की प्राधिकरण की योजना में दोबारा शामिल होने के इच्छुक हजारों पेंशनर्स को योजना से जोड़ा जाय तथा सेवानिवृत्ति के 80 साल पूरे होने पर 20% की पेंशन में वृद्धि को हर 5 साल बाद 5%की दर से बढ़ाया जाय। क्योंकि 80 साल से पहले खुदा के प्यारे बनने वाले पेंशनर्स इसका लाभ भोगने को स्वर्ग सिधार जायेंगे। निर्णय लिया गया कि पेंशनर्स की सभी न्यायोचित मांगों के लिए समिति का प्रतिनिधिमंडल शीघ्र ही शासन से वार्ता करेगा।
बैठक में सचिवालय संघ के महामंत्री राकेश जोशी,बीपी नौटियाल,चौधरी ओमवीर सिंह, उमेश सक्सेना, आरपी सिंह, सुशील त्यागी, संजय अग्रवाल, सत्य सिंह बिष्ट, चंद्रसेन, नवीन नैथानी, चंद्रपाल सिंह, गिरीश चंद्र भट्ट, एस एस बल्दिया, दिनेश जोशी, जगदीश चंद्र आर्य, ठाकुर शेर सिंह, राजकुमार टाक, गंगा प्रसाद कोठारी, बीएस नेगी, सुभाष चंद्र, बी एस प्याल, एसके सजवान, एस एस रावत, जगत राम मंगाई, जयपाल सिंह आदि विभिन्न विभागों के सेवानिवृत अधिकारी उपस्थित थे।