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गणेश चतुर्थी पर 122 वर्ष बाद बन रहा यह संयोग

देहरादून। इस बार गणेश चतुर्थी का उत्सव 12 सितंबर से शुरू हो रहा है। घर-घर गणपति बप्पा मेहमान बनकर अगले 10 दिनों तक विराजमान होंगे। उत्सव को लेकर जगह-जगह तैयारियां शुरू हो गई हैं। घरों, मंदिरों समेत सार्वजनिक स्थलों पर गणेश भगवान की मूर्तियों को विधि-विधान के साथ स्थापित किया जाएगा। दून में श्रद्धालु 12 और 13 सितंबर को मूर्ति स्थापना करेंगे।

ज्योतिषविद्या के जानकारों के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व मुख्य रूप से भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को मनाया जाता है। 122 वर्ष बाद गणेश चतुर्थी पर नक्षत्रों और ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है। लंबे समय बाद गणेश चतुर्थी का त्योहार बुधवार से शुरू हो रहा है, जोकि अत्यंत शुभकारी है। चतुर्थी 12 सितंबर शाम 4:08 बजे से शुरू होकर 13 सिंतबर शाम 2:51 बजे तक रहेगी। 23 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश मूर्ति का विसर्जन किया जाएगा।

गणेश मूर्ति स्थापना का शुभ मुहूर्त: 

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  • 12 सितंबर को शाम 4:53 से शाम 6:27 बजे तक, शाम 7:54 से रात्रि 10:47 बजे तक मूर्ति स्थापित कर सकते हैं।
  • 13 सितंबर को चौघड़िया के अनुसार सुबह छह बजे से सुबह 7:34 बजे तक, दोपहर 10:40 से दोपहर 2:51 बजे तक  मूर्ति स्थापना करें।

दरअसल चतुर्थी का संबंध चंद्रमा से है और चंद्रमा का मन से। गणेश चतुर्थी मनाने के पीछे धार्मिक प्रसंग जुड़ा हुआ है। मान्यता के अनुसार इस दिन गणेश भगवान का प्राकट्य दिवस मनाया जाता है। एक दिन जब पार्वती माता मानसरोवर में स्नान करने गईं थीं, तो बाल गणेश को उन्होंने पहरा देने को कहा था। इतने में भगवान शिव वहां पहुंच गए, लेकिन गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोक दिया। जिस पर भगवान शिव ने क्रोधित होकर त्रिशुल से गणेश का सिर काट दिया। इसके बाद पार्वती माता के क्रोधित होने पर गणेश को हाथी का सिर लगाकर पुनर्जीवित किया गया। तभी से उन्हें गजानन कहकर पुकारा जाने लगा।

गणेश महोत्सव को लेकर बाजार की रौनक भी देखते ही बन रही है। रंग-बिरंगी छोटे-बड़े आकार की मूर्तियां बिक रही हैं। मूर्तिकार बप्पा की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। कुछ लोगों के लिए यह उत्सव का मौका है। वहीं कुछ कलाकार बप्पा की मूर्तियां बनाकर अपनी रोजी रोटी चला रहे हैं।

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