देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने आपदा में मारे गए लोगों को चार लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में आई आपदा से 70 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र प्रभावित हुआ है। अतिवृष्टि से जनपद की मोरी तहसील सर्वाधिक प्रभावित है। 52 गांव इसकी जद में आएं है, जिसमें 15 लोगों की मौत हुई है। जबकि 6 लापता और 8 घायल हैं। वहीं, 115 भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। जबकि 17 पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं।
आपदा में दो मोटर मार्ग और दो पैदल पुल बह गए हैं। 14 किलोमीटर क्षेत्र में विद्युत आपूर्ति पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है। प्रारंभिक अनुमान के अनुसार 130 करोड़ रुपये के नुकसान का है। यह जानकारी आपदा प्रभावित क्षेत्र से लौटकर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दी है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी आराकोट पहुंचकर आपदा प्रभावित गांवों का हवाई निरीक्षण किया। उन्होंने आपदा में मृत लोगों के आश्रितों को 4-4 लाख रुपये और घायलों व अन्य प्रभावितों को मानकों के अनुसार आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। उन्होंने बताया कि आपदा में 15 लोगों की मौत हुई है।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत मंगलवार सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे क्षेत्रीय सांसद माला राज्यलक्ष्मी शाह और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं सांसद अजय भट्ट के साथ आराकोट पहुंचे। उन्होंने हेलीकॉप्टर से आपदा प्रभावित माकुड़ी, डगोली, टिकोची, चिवां, मोंडा आदि गांवों का हवाई निरीक्षण किया।
इसके बाद आराकोट में उन्होंने आपदा पीड़ितों से मुलाकात कर उन्हें ढांढस बंधाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा ने जान माल के साथ ही बुनियादी संसाधनों को भारी नुकसान पहुंचाया है। आपदा के तुरंत बाद एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, आईटीबीपी, पुलिस और वन विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों में राहत एवं बचाव कार्य के लिए मोर्चा संभाल लिया है। स्थानीय लोगों के साथ नेपाल मूल के लोगों को मदद दी जा रही है।
उन्होंने बताया कि हर गांव तक हमारी टीमें पहुंच चुकी है। एक हजार किलोग्राम खाद्यान्न, दो हजार फूड पैकेज, पांच हजार लीटर पानी, तीन सौ कंबल, पचास टैंट, दवाइयां, आस्का और सोलर लाइटें पर्याप्त मात्रा में आराकोट, मोरी एवं त्यूणी में भंडारित कर प्रभावितों तक पहुंचाई जा रही है। चार हेलीकॉप्टर राहत एवं बचाव कार्य के लिए संचालित किये जा रहे हैं। दस स्थानों पर हेलीपेड बनाए गए हैं। आराकोट तक मार्ग खुल गया है। शेष अगले दो दिन में सुचारु हो जाएंगे। 12 गांवों में पेयजल व्यवस्था बहाल है।
राहत और बचाव कार्य:
– तीन सौ कार्मिक खोज, बचाव एवं राहत कार्य में जुटे।
– आराकोट में बेसकैंप, तीन आपदा राहत केंद्र संचालित।
– 300 आपदा पीड़ितों के भोजन की व्यवस्था ।
– पशुपालन विभाग की दो टीमें प्रभावित क्षेत्रों में तैनात।
– आराकोट में डेढ़ सौ कुंतल लकड़ी उपलब्ध।
– 6 जेसीबी, दो पोकलैंड तथा 1 कम्प्रैशर कार्यरत ।
– 52 गांवों में से चालीस में विद्युत आपूर्ति बहाल।
– 12 गांवों मे पेयजल आपूर्ति हुए सुचारु।
– स्वास्थ्य विभाग की 10 डाक्टरों की 4 टीमें तैनात।
– दस हेलीपेड से एयरफोर्स संचालित कर रही राहत कार्य।
– भवन क्षति का आकलन के लिए टीमें कर रही कार्य।
मुख्यमंत्री ने बताया कि इस मानसून सीजन में 59 लोगों की मौत, 55 घायल, 12 लापता, 323 पशु हानि और 134 भवनों को आंशिक और 115 को पूर्ण क्षति पहुंची है। कुल 170 करोड़ रुपये का नुकसान है, जबकि आपदा का फंड 320 करोड़ रुपये मौजूद है। ऐसे में केंद्र से पैकेज की जरूरत नहीं है।
ठप्प पड़ा दून अस्पताल का आईसीयू:
प्रदेश में आपदा आई हुई है और दून अस्पताल का आईसीयू वार्ड तीन दिन से बंद है। ऐसे में आईसीयू की सुविधा न होने से अस्पताल प्रशासन के साथ ही मरीज भी परेशान हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि मंगलवार से आईसीयू वार्ड में स्वास्थ्य सुविधाएं शुरू कर दी जाएंगी।
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रदेश के सुविधाओं के लिहाज से सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में शामिल है। अस्पताल के पांच बेड के एकमात्र आईसीयू वार्ड में एक महीने पहले पानी की लाइन में लीकेज होने के कारण वहां करंट आने लगा था। करंट के साथ ही संक्रमण का खतरा भी बना हुआ था। फॉल्ट न मिलने की वजह से आईसीयू वार्ड को शनिवार को बंद कर दिया गया था।
ऋषिकेश स्थित एम्स को छोड़ दें तो आसपास के जिलों में भी सरकारी अस्पतालों में आईसीयू वार्ड नहीं है। आपदा के गंभीर घायलों को जहां दून अस्पताल लाया जा रहा है। ऐसे में आईसीयू की सुविधा न होने से अस्पताल प्रशासन के साथ ही मरीज भी परेशान हैं। दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि विभाग के इंजीनियरों ने फॉल्ट ढूंढ लिया है। पीने के पानी की लाइन का पाइप आईसीयू की दीवार के पास पूरी तरह से टूटा हुआ था। दीवार को तोड़कर लाइन को दुरुस्त कर दिया गया है। मंगलवार से आईसीयू वार्ड को शुरू कर दिया जाएगा।
हज़ारों लोग गांवों में हुए कैद:
आराकोट क्षेत्र के गांवों में बादल फटने से मची तबाही से क्षेत्र के करीब दो दर्जन गांव बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इनमें अभी तक आराकोट, सनेल, माकुड़ी एवं नगवाड़ा टिकोची से ही जनहानि की सूचना मिली है, जबकि अन्य गांवों में सेब के बगीचे, खेत, संपर्क मार्ग, सड़क, पुल, पुलिया आदि परिसंपत्तियों को भारी नुकसान पहुंचा है।
सड़क, पुल एवं रास्ते तबाह होने से इन गांवों में करीब दस हजार आबादी कैद होकर रह गई है। इन गांवों से सेब की तैयार फसल को मंडियों तक पहुंचाने की स्थिति नहीं बन पाने से ग्रामीणों की आजीविका पर खतरा मंडराने लगा है।
उत्तरकाशी जिला मुख्यालय से करीब 200 किमी की दूरी पर मोरी-त्यूणी-रोहड़ू (हिमाचल) हाईवे पर स्थित आराकोट में बीते रविवार को भारी तबाही मची। यहां तक का सड़क संपर्क बहाल होने पर प्रशासन द्वारा यहां बेस बनाकर आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्य किए जा रहे हैं। यहां दो सौ से अधिक ग्रामीण प्रशासन द्वारा बनाए गए शिविर में शरण लिए हुए हैं।
आराकोट से क्षेत्र के गांवों को जोड़ने वाली सड़क पर 5 किमी दूर मोल्डी और इससे आगे 4 किमी पर नगवाड़ा टिकोची बाजार है। यह क्षेत्र के डेढ़ दर्जन गांवों का प्रमुख बाजार है। टिकोची का पुल आपदा में तबाह होने से इससे आगे वाहनों की आवाजाही ठप पड़ी है। इससे पहले भी सड़क तीन स्थानों पर बुरी तरह क्षतिग्रस्त पड़ी है और मोल्डी गांव में भी काफी नुकसान हुआ है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि नगवाड़ा टिकोची में रेस्क्यू टीमें अभी भी खोज एवं बचाव अभियान में जुटी हैं। यहां राजकीय एलोपैथिक अस्पताल, राइंका टिकोची, बेसिक स्कूल और दो निजी स्कूलों के साथ ही दर्जनों भवन बाढ़ और मलबे से तबाह हो गए हैं। जान बचाने में कामयाब रहे लोग अभी तक आपदा के भय से नहीं उबर पाए हैं और बदहवास हैं।