वकीलों ने कहा- गोली चलाने वाले पुलिसकर्मी हों गिरफ्तार
नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच हुई झड़प के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। यह याचिका पीड़ित कॉन्स्टेबल की पत्नी ने दायर की है। इसमें मांग कि गई है कि ड्यूटी के दौरान अगर पुलिसकर्मी की मौत हो जाती है तो उसे अवॉर्ड दिया जाए। परिवार के एक सदस्य को नौकरी मिले। साथ ही परिवार को मृतक की पूरी तनख्वाह दी जाए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई करेगा।
उधर, रोहिणी और साकेत कोर्ट के बाहर वकीलों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी है। रोहिणी कोर्ट के एक वकील ने कहा कि हमारी लड़ाई केवल उन पुलिसकर्मियों के खिलाफ है, जिन्होंने हम पर गोली चलाई और लाठीचार्ज किया। हम तब तक विरोध करेंगे, जब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं कर लिया जाता। बार काउंसिल के अध्यक्ष मनन मिश्रा ने कहा कि कल जो हमने मीडिया रिपोर्ट्स देखीं उसको देखकर हमारे वकीलों ने बताया कि पुलिस का प्रदर्शन देखकर बार काउंसिल ऑफ इंडिया डर गई। पुलिस के पास बंदूक है, गोली है, लाठी-डंडे हैं। आप जिम्मेदारी से काम लें। यह कह रहे हैं कि हम न्यायाधीशों से सुरक्षा वापस ले लेंगे। मैं अपील करुंगा कि आप इसकी भर्त्सना करें। कल इन्होंने पिटीशन दी थी। कोर्ट की बात सड़कों पर लाकर आप आंदोलन करें। यह न्यायपूर्ण नहीं है।
इस बीच पुड्डुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी ने दिल्ली पुलिस का समर्थन किया है। बेदी ने ट्वीट किया- नेतृत्व एक ऐसी विशेषताहै, जो जिम्मेदारी दिखाते हुए कड़े फैसले कर सके। अधिकार और जिम्मेदारी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सोमवार और मंगलवार को साकेत और तीस हजारी कोर्ट के बाहर उनके सहयोगियों पर वकीलों द्वारा हमला किया गया। लेकिन, सीनियर अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। जब हम कानून का पालन करने की अपनी जिम्मेदारी निभाते हैं तो कोई संघर्ष नहीं होता।
मंगलवार को हजारों से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने दिल्ली के आईटीओ में पुलिस मुख्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान कई पुलिसकर्मियों ने किरण बेदी की प्रशंसा में नारे लगाए। जवानों ने कहा-पुलिस कमिश्नर कैसा हो, किरण बेदी जैसा हो। पुलिसकर्मियों ने कहा- हम पीटते रहे, लेकि नकमिश्नर मौन बने रहे। हमने यह वर्दी इसलिए नहीं पहनी है कि हर दिन हम पर हमला होता रहे। 2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में और 4 नवंबर को साकेत और कड़कड़डूमा कोर्ट में पुलिस और वकीलों के बीच झड़प हुई थी। इसमें करीब 20 पुलिसकर्मी और कुछ वकील घायल हुए थे।
दिल्ली के पुलिस कमिश्नर अमूल्य पटनायक ने मंगलवार को पुलिसकर्मियों से काम पर लौटने की अपील की थी और उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया था। स्पेशल कमिश्नर सतीश गोलछाने कहा था- हिंसक घटना में जितने पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, उन्हें कम से कम 25 हजार रुपए मुआवजा दिया जाएगा। पुलिसकर्मियों ने अधिकारियों से आश्वासन मिलने के बाद धरना खत्म करने का फैसला किया था।
गृह मंत्रालय ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें 3 नवंबर के कोर्ट के आदेश को संशोधित करने की मांग की गई थी। गृह मंत्रालय का कहना है कि 2 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में वकील और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद की घटनाओं पर यह आदेश लागू न किया जाए। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को वकीलों के खिलाफ सख्ती न बरतने का आदेश दिया था। गृह मंत्रालय की याचिका पर अदालत ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) समेत वकीलों के दूसरे संगठनों को नोटिस जारी किया।