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वन अनुसंधान संस्थान में हुआ दीक्षांत समारोह, प्रकाश जावड़ेकर ने की शिरकत

देहरादून। वन अनुसंधान संस्थान (एफ आर आइ) सम विश्वविद्यालय, देहरादून के 5 वें दीक्षांत समारोह का आयोजन शनिवार दिनांक 7, सितंबर 2019 को दोपहर 2:00 बजे एफआरआई के दीक्षांत सभागार में किया गया। इस अवसर पर प्रकाश जावड़ेकर, केंद्रीय मंत्री,पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय एवं सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। सिद्धान्त दास, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव, भारत सरकार, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विशेष अतिथि के रूप में शिरकत की।

समारोह का प्रारम्भ कुलसचिव डॉ ए के त्रिपाठी की अगवानी में विश्वविद्यालय के अकैडमिक प्रोसेसन जिसमें मुख्य अतिथि, विशेष अतिथि, कुलाधिपति, कुलपति तथा अकैडमिक काउंसिल के सदस्य शामिल रहे, के दीक्षांत सभागार में आगमन से हुआ। तदुपरान्त विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और महानिदेशक, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, डॉ. एस.सी. गैरोला, ने दीक्षांत समारोह के औपचारिक शुरुआत की। तत्पश्चात, श्री ए.एस. रावत, कुलपति, एफआरआइ सम विश्वविद्यालय और निदेशक, एफआरआई ने गणमान्य अतिथियों, विशेष आमंत्रित सदस्यों, छात्रों और उनके अभिभावकों और सभी उपस्थित जनों का स्वागत किया और विश्वविद्यालय की रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और वानिकी और संबंधित क्षेत्रों की चुनौतियों पर आधारित कार्य योजना के साथ ही साथ भविष्य की प्रतिबद्धताओं का उल्लेख किया गया। श्री रावत ने छात्रों के सर्वांगीण विकास को बढ़ावा देने और ज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान हेतु विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

समारोह के दौरान वानिकी के विभिन्न विषयों में 62 पीएचडी और 253 एमएससी सहित कुल 315 उपाधियाँ प्रदान की गईं। इनके अतिरिक्त, एमएससी कोर्स मे उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कुल नौ छात्रों जिनमे निधि, ओद्रिला बसु, शबनम बंद्योपाध्याय (वानिकी); अजीन शेखर, मितिनम जमो (पर्यावरण प्रबंधन); प्रिया बिष्ट, सुब्रत पाल (काष्ठ विज्ञान और प्रौद्योगिकी); विजया कुमार, गुरसिमरन कौर बग्गा (सेलुलोज और पेपर टेक्नोलॉजी) को स्वर्ण पदक दिए गए।

सभा को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि श्री प्रकाश जावड़ेकर ने वृक्षो की सुरक्षा में अपने प्राणो की आहुति देने वाले स्थानीय जनों को सादर नमन किया और वन एवं वन्य जीव संरक्षण में जन सहभागिता की महती भूमिका को रेखांकित किया। उन्होने आगे बताया कि सामाजिक वानिकी, कृषि वानिकी तथा विध्यालय स्तरीय पौधशाला स्थापन जैसे कार्यक्रम देश में वनछादित क्षेत्र बढ़ाने में प्रभावी भूमिका निभा सकते हें। छात्रों में वन सरंक्षण के प्रति जागरूकता एवं वृक्षों के प्रति प्रेम कि भावना जाग्रत करने हेतु विध्यालय स्तरीय पौधशाला की अहम भूमिका हो सकती है। भारत सरकार की योजनाओं का जिक्र करते हुए श्री जावड़ेकर ने बताया कि वृक्ष उत्पादन एवं उनके उपयोग से संबन्धित नियमों को इस प्रकार सुगम बनाया जा रहा है ताकि जनसमान्य वृक्षारोपण के प्रति अधिक से अधिक उन्मुख हो सके। विगत वर्षों में किया गए प्रयासों के फलस्वरूप वनछादित क्षेत्र में 15,000 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गयी हें। इस संदर्भ में बास का उदाहरण देते हुए उन्होने ‘पेड़ लगाओ- ‘पेड़ बढ़ाओ- ‘पेड़ का उपयोग करो’ का नारा दिया। उन्होने यह भी कहा की वनो में पर्याप्त भोजन एवं जल की उपलब्धता सुनिशित कर के मानव एवं वन्य जीव टकराव को रोका जा सकता है। उन्होने उपाधि प्राप्त छात्रों से आधुनिक तकनीकों तथा प्रणालियों का उपयोग करते हुए अपने पारंपरिक मूल्यों के प्रति आदर रखने का आह्वान किया।

विशिष्ट अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में सिद्धान्त दास ने कहा कि आज हमारा देश वैज्ञानिक वन प्रबंध के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन का गवाह बना हें। पूर्व कि प्राथमिकताओं जैसे काष्ठ एवं गैर काष्ठ उपज कि जगह वन एवं वन्य जीव संरक्षण, आजीविका अर्जन एवं जल संरक्षण जैसे विषय आज ज्यादा प्रासंगिक हो गए हें। प्रधानमंत्री जल स्वावलम्बन योजना का जिक्र करते हुए उन्होने बताया कि इसके कार्यान्वयन के फलस्वरूप राजस्थान में केवल चार वर्षों में भूमिगत जल स्तर 4.2 फीट बढ़ गया हें। उन्होने बताया कि जल संरक्षण खाध्य शृंखला (फूड चेन) पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है और इस प्रकार वन्य जीव संरक्षण में प्रभावी भूमिका निभाता हैं। इस प्रयास से देश में विगत चार वर्षों के दौरान बाघों कि संख्या 2226 से बढ़कर 2967 हो गयी हें। जल संरक्षण 2.5-3.0 बिलयन टन कार्बन sequestration के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अत्यन्त ज़रूरी हें।

विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ॰ एस.सी. गैरोला ने अपने संबोधन में आईसीएफआरई द्वारा उठाए गए कुछ महत्वपूर्ण पहलों जैसे देश के लिए दूसरा राष्ट्रीय वानिकी अनुसंधान योजना (एनएफआरपी) तैयार करना, वानिकी विस्तार रणनीति कार्य योजना, ICFRE कर्मचारियों के क्षमता विकास हेतु मानव संसाधन विकास योजना, मंत्रालय के हरित कौशल विकास कार्यक्रम का क्रियान्वयन, राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप, वानिकी के माध्यम से 13 प्रमुख नदियों के पुनरुद्धार के लिए डीपीआर तैयार करना, राष्ट्रीय REDD + रणनीति 2018 आदि के बारे में बात की।

उन्होंने आगे कहा कि ICFRE ने भारत में वानिकी शिक्षा के परिष्करण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा एवं अनुसंधान के दृष्टिगत ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय, कनाडा, स्वीडिश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज, स्वीडन, गोटिंगेन यूनिवर्सिटी, जर्मनी, इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेस्ट्री, नेपाल और राष्ट्रीय संस्थानों जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं राष्ट्रीय संस्थानों जैसे आईसीएआर, टेरी, टाइफेक, जीआईसीए, जेडएसआई और आईआईएम, काशीपुर के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए हैं। अंत में कुलाधिपति द्वारा दीक्षांत समारोह के औपचारिक समापन की घोषणा की गयी। इसके उपरांत डॉ. एच. एस. गिन्वाल, डीन, एफआरआई सम विश्वविद्यालय द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ समारोह का समापन हुआ।

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