गिरफ्तारी से बचने के लिए नया पैंतरा आजमा रहा शातिर ‘स्टिंगबाज़’, अब चली ये चाल
देहरादून। हवालात में जाने के डर से स्टिंगबाज उमेश जे कुमार उर्फ उमेश शर्मा अचानक एक ‘गंभीर’ बीमारी का शिकार हो गया है। मजे की बात यह है कि यह बात उसने खुद अपने चारण भाटों को बताई है। जबकि उसकी चरण वंदना करने वाले चाटुकारों और भांडों को दिन रात उसकी ‘सेवा’ करने के बावजूद इसकी भनक तक नहीं लगी।
वे सभी मायूस दिख रहे हैं क्योंकि ‘बीमारी’ के नाम का जिक्र भी किया होता तो गुर्गे उसके इलाज के लिये दिन रात एक कर देते। यह अलग बात है कि ‘बड़े पेट’ वालों को कभी आम आदमी वाली ‘बीमारी’ नहीं होती, बल्कि शाही लोगों वाले ‘रोग’ ही उनकी शोभा बढ़ाते रहे हैं।
उसकी फितरत को जानने वाले पत्रकार बंधु अब इस बात पर से हैरान है कि पहाड़ के पत्रकारों और सिर्फ मुख्यमंत्री को गालियां देने वाला अब कैसे गालियों से तौबा कर रहा है और गाली देने वाले चाटुकारों को अनुशासन में रहने की दीक्षा देने लगा है, पहाड़ के ‘सर्वहितैषी’ ने अपने सोशल एकाउंट की वॉल में लिखा है।
‘मेरी गिरफ्तारी पर उच्च न्यायालय ने रोक लगा दी है,’ जो ‘हितैषी’ छाती चौड़ी करके अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मुकदमों की लिस्ट अपनी सोशल मीडिया वॉल पर गर्व से चस्पा करता रहा हो, वो अचानक ‘भीगी बिल्ली’ क्यों बन रहा है? अब क्यों छाती चौड़ी करके ये नहीं कहता कि उत्तराखंड में मेरे खिलाफ एक और आपराधिक और सरकार के खिलाफ साजिश रचने का राजद्रोह का मुकदमा दर्ज़ हुआ है।
हालांकि अब पत्रकार बंधु इस बात से बिल्कुल भी हैरान नहीं हैं कि राजेश शर्मा को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाने के बाद स्टिंगबाज को सिर्फ अपनी गर्दन बचाने की पड़ी है और फिलहाल वह कुछ समय के लिये राहत भी पा गया है, लेकिन बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी। उसके करम ही उसकी नियति लिख रहे हैं।
वही हाई कोर्ट ने लिखा है कि पुलिस के साथ अनुसंधान में सहयोग करेगा पर यह बीमारी का बहाना करना उसी का खेल तो नही? आपको एक बात और बता दे कि यदि सहयोग नही करेगा तो उसकी गिरफतारी भी हो सकती है।
साभार: NewseExpress18