विरासत में मिली जनसेवा की प्रेरणा : नेगी
पांवटा साहिब, (कमल सिंह कठैत)। समाज में जनसेवी के तौर पर अपनी एक अलग पहचान रखने वाले दिलीप सिंह नेगी किसी परिचय के मोहताज नहीं है। सिरमौर जनपद के सिलाई में जन्मे दिलीप सिंह नेगी का जन्म 1 जनवरी 1966 को हुआ था। बचपन से ही समाज सेवा के कार्य करने की ललक उनके भीतर हिलोरे मार रही थी, या यूं कहा जाए कि जनसेवा के कार्य करने की प्रेरणा उन्हें विरासत में मिली तो कोई अतिश्योक्ति नहीँ होगी।
दिलीप सिंह नेगी के पिता श्री लाल सिंह एवं माता श्रीमती नैना देवी को भी समाजसेवी के तौर पर पहचाना जाता था। दिलीप सिंह नेगी ने अपने जीवन की प्रारंभिक शिक्षा उत्तराखंड के देहरादून स्थित मार्शल स्कूल से प्राप्त की। इसके पश्चात वह देहरादून के ही सेंट थॉमस स्कूल से मैट्रिक पास हुए। बताते चलें की श्री नेगी ने पत्रकारिता की पढ़ाई कर कुछ समय तक पत्रकारिता के कार्य को भी किया। तत्पश्चात उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाए। दिलीप सिंह नेगी ने वर्ष 1988 से ही नाहन स्थित जिला सत्र न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में अपनी प्रैक्टिस प्रारंभ कर दी थी। क्षेत्र में अपनी कार्यकुशलता के चलते उन्होंने एक अलग पहचान बनाई। इसके साथ ही वह समाज सेवा एवं जनसरोकार से जुड़े मामले में भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगे।
वर्ष 1986 में हिमाचल के सिलाई क्षेत्र में नई शिक्षा नीति के तहत राज्य माध्यमिक पाठशाला को प्रारम्भ करवाने में उन्होंने अपनी एक अहम भूमिका निभाई थी। इस कार्य को अंजाम देने के लिए उन्होंने दस दिनों तक अनशन भी किया था। उनकी योग्यता एवं दक्षता को देख वर्ष 1997 में उन्हें राज्य प्रवक्ता संघ का प्रधान चुना गया। इस पद पर वे 2 वर्षों तक बने रहे। इसके बाद उन्हें राज्य कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य के पद पर नियुक्त किया गया। श्री नेगी बताते हैं कि समाजसेवा के कार्य करने से उन्हें आत्मीय सुख की प्राप्ति होती है।
गौरतलब है कि दिलीप सिंह नेगी जरूरतमंद एवं निर्धन लोगों की मदद करते हुए उनके कोर्ट केस निशुल्क लड़ते हैं। हिमाचल क्षेत्र के कई जरूरतमंद लोग उनकी इस सेवा का लाभ उठा चुके हैं। उन्होंने बताया कि वे हाईकोर्ट में भी वकालत की प्रेक्टिस कर चुके है। श्री नेगी वर्ष 1994 में हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग में बतौर प्रवक्ता नियुक्त हुए एवं वर्तमान में भी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। उनकी सेवाकाल के तीन वर्ष अभी शेष है। देश में गिरते हुए शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सुझाव देते हुए श्री नेगी ने कहा कि देश में एकल शिक्षा व्यवस्था की बेहद आवश्यकता है। जिससे शिक्षा को बेहतर बनाया जा सके।