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विरोधियों के निशाने पर आये फडणवीस, करना होगा चुनौतियों का सामना

पिछले कुछ दिनों में महाराष्ट्र की सियासत में हुए नाटकीय घटनाक्रम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिले। ऐसे में जहाँ एक ओर पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस की साख भी बनी, लेकिन सरकार गिरने पर वे एक बार फिर से विरोधियों के निशाने पर आ गए हैं। जानकारों के अनुसार उन्हें अब पार्टी के भीतर कई चुनौतियों का सामना करना होगा। वहीं अब पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भाजपा के भीतर नाराज साथी नेताओं से जूझना होगा। इसके साथ ही उनके लिए अब मुश्किलों की शुरुआत होने वाली है। क्योंकि, मुख्यमंत्री के रूप में उन्होंने मूल भाजपाइयों के बदले दूसरे दलों से आए नेताओं को अधिक तवज्जो दी थी।

पूर्व राजस्व मंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे को फडणवीस ने मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया था। इतना ही नहीं अक्टूबर महीने में हुए विधानसभा चुनाव के वक्त खडसे को जलगांव जिले की मुक्ताईनगर सीट से टिकट तक नहीं दिया। जब उन्होंने बागी तेवर अख्तियार किया, तो उनकी बेटी रक्षा खडसे को टिकट दिया गया, मगर उनकी बेटी को पराजय का मुंह देखना पड़ा। खडसे परिवार को लगता है कि उन्हें पर्दे के पीछे रहकर देवेंद्र फडणवीस ने ही पराजित करने में अहम भूमिका निभाई थी।

इसी तरह मुख्यमंत्री बनने का सपना देखने वाली पंकजा मुंडे अपने चचेरे भाई धनंजय मुंडे (राकांपा) से अपनी परंपरागत विधानसभा सीट परली गंवा बैठी हैं। पंकजा को भी शक है कि धनंजय को फडणवीस ने अंदर ही अंदर मदद की है। भाजपा के वरिष्ठ एवं पूर्व मंत्री रहे नेता विनोद तावडे, प्रकाश मेहता और चंद्रशेकर बावनकुले जैसे नेताओं का टिकट कटने का ठीकरा भी देवेंद्र फडणवीस के सिर ही फूटा है। अलग-अलग वजहों से इस प्रकार से भाजपा के जितने भी नेता नाराज चल रहे थे, वे भी जल्द ही केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की शरण में नजर आने वाले हैं।

सूत्रों का कहना है कि आगे चल कर इस पूरे गुट का नेतृत्व पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार करेंगे और फडणवीस को चुनौती देने की शुरुआत उनके गढ़ विदर्भ से ही होने वाली है।इसी प्रकार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के रूप में अब सूबे में पार्टी की कमान मराठा समाज के हाथ में ही रहने वाली है। ऐसे में फडणवीस को विधानसभा में पहले नेता प्रतिपक्ष बनाया जा सकता है। जानकार सूत्रों का कहना है कि महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोट्स के विफल होने के बाद केंद्रीय नेतृत्व भी फडणवीस से नाराज हो गया है। उसने भी महाराष्ट्र में सुधीर मुनगंटीवार और चंद्रकांत पाटिल जैसे नए नेतृत्व को उभारने के विकल्प पर विचार करना शुरू किया है।

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