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वृक्षमित्र ने कहा- वैलेंटाइन्स डे पर उपहार में दें गुलाब का पौधा

देहरादून। प्रकृति निर्माता ने एक ऐसा संसार का निर्माण किया है जिसमें प्यार मोहब्बत, भाईचारे का सृजन हैं और ऐसे खुशी के अवसर पर फूलों को उपहार में दिया जाता है। यहां तक कि स्वर्ग की अफ़सराए फूलों से सजधज कर रहती थी लेकिन आज उसे एक फूल की मरी टहनी देकर अपने जज्बात का इजहार करने की परम्परा बना डाली हैं जो शहरों से धीरे धीरे गांव तक पहुंचने लगी है।
हम बात कर रहे है वैलेंटाइन डे की। वैलेंटाइन डे के बारे में जब हमने पर्यावरणविद वृक्षमित्र डॉ. त्रिलोक चंद्र सोनी से पूछा तो वे कहते हैं युवा 14 फरवरी को एक गुलाब की मरी टूटी फूल की टहनी देकर कैसा इज़हार करता हैं मेरी समझ से परे हैं। जो गुलाब का फूल उपहार में दिया हैं वो कुछ समय बाद कूड़ेदान की शोभा बढ़ाने लगता हैं क्या यही हमारे जज्बात, अरमान, त्याग व समर्पण हैं।
वृक्षमित्र डॉ. सोनी कहते है हमे पाश्चात्य सभ्यता को छोड़कर अपनी गौरवशाली भारती संस्कृति को अपनाना होगा ताकि समाज में एक अच्छा संदेश जाए। किसी भी शुभ कार्य या खुशी का इजहार मरे टूटे गुलाब के फूल से नही बल्कि एक गुलाब के फूल का पौधा उपहार में देकर करें। टूटा गुलाब की टहनी मरा समान हैं जिसे हमारी संस्कृति में अपशकुन मानते हैं। क्यों न हम एक अच्छे रिशतों की सुरूवात जीवित चीज से करें।
इसके लिए क्यों न हम गुलाब का एक पौधे उपहार में देकर करें जो जीवित हैं उसे घर के गमले में भी लगाते हैं। तो वह घर आंगन की शोभा बढ़ाएगा जिसकी सुगंध मौहल्ले तक जाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वनों के प्रति भावना पनपेगी तथा लोग पर्यावरण का संरक्षण करेंगे। वो दिन दूर नही होगा जब इस वैलेंटाइन डे को लोग गुलाब पौधरोपण दिन के रूप में मनाएंगे।

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