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चीन के वुहान पहुंची WHO की टीम, कोरोनावायरस के बारे में जुटाएगी अहम जानकारियां

वुहान। कोरोना संक्रमण की वजह से पूरी दुनिया में लाखों लोगों की मौत हो चुकी है। अबतक करोड़ों लोग इस बीमारी के चपेट में आ चुके हैं। चीन के वुहान शहर से दुनियाभर में फैला ये वायरस अब भी पकड़ से बाहर है। कोरोना संक्रमण की वैक्सीन की खोज होने के बाद और महामारी की शुरुआत के एक साल से ज्यादा समय के बाद अब WHO की टीम चीन के वुहान पहुंची है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबकि 10 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों वाली विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ये टीम कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन के वुहान पहुंची है।

Coronavirus से बचाव के लिए वैज्ञानिकों ने नयए एंटीबॉडी का पता लगाया

वैज्ञानिकों ने भेड़ की नस्ल लामा और अल्पैका में एक नए एंटीबॉडी की पहचान की है, जिसे कोरोना वायरस के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। जर्मनी में बॉन विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय दल ने अध्ययन के दौरान ‘नैनोबॉडीज’ की पहचान की है जो एंटीबॉडीज से आकार में छोटे हैं। ये उत्तकों के साथ बेहतर तालमेल कर सकते हैं और इससे बड़ी मात्रा में एंटीबॉडीज भी पैदा की जा सकती है। अध्ययन करने वाले दल ने पाया कि नैनोबॉडीज एक साथ विभिन्न हिस्से में वायरस पर हमला करने में सक्षम है।

संक्रमण से रक्षा के लिए जीवों के शरीर में एंटीबॉडीज की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ये जीवाणु या विषाणु के प्रसार को रोकने का काम करते हैं। बॉन विश्वविद्यालय के ‘इंस्टीट्यूट ऑफ इन्नेट इम्युनिटी’ के शोधकर्ता फ्लोरियन स्कमिड्ट ने बताया, ‘‘हमने लामा और अल्पैका में कोरोना वायरस के प्रोटीन का इस्तेमाल कर इसके नतीजों पर गौर किया। प्रतिरक्षा तंत्र ने वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज तैयार की।’’

बॉन विश्वविद्यालय से जुड़े और अध्ययन के लेखक पॉल अल्बर्ट कोनिग ने कहा, ‘‘परीक्षण में कई नैनोबॉडीज का पता चला जिसपर हमने आगे विश्लेषण किया। कोशिका की संरचना में वायरस के खिलाफ चार मॉलिक्यूल कारगर होते हैं। एक्स-रे और इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी जांच में आगे हमने देखा कि वायरस के स्पाइक प्रोटीन के प्रति किस तरह का ये व्यवहार करते हैं।’’

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