यदि आप भी हैं चाय के शौकीन तो हो जाएं सावधान
सर्दी का मौसम हो और सवेरे−सवेरे चाय पीने को मिल जाए तो कहना ही क्या। आमतौर पर, घरों में बिना चाय की चुस्की के सुबह की शुरूआत ही नहीं होती। अगर आप भी चाय के दीवाने हैं तो जरा संभल कर। जरूरत से ज्यादा चाय का सेवन सिर्फ एसिड या अन्य समस्याओं का ही कारण नहीं बनता, बल्कि इससे शरीर की हड्डी पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। इतना ही नहीं, इससे कई की बोन डिसीज होने का खतरा भी बढ़ जाता है। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में:-
चाय का एक या दो कप भले ही हेल्थ को ज्यादा नुकसान न पहुंचाए लेकिन जो लोग दिनभर में कई कप चाय का सेवन करते हैं, उन्हें स्केलेटल फलोरोसिस नामक हडिड्यों की बीमारी होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। स्केलेटल फलोरोसिस नामक यह बोन डिसीज मुख्य रूप से शरीर में बहुत अधिक फलोराइड के इकट्ठा होने से होती है। यूं तो यह खनिज चाय के अतिरिक्त पानी में भी पाया जाता है और यह शरीर के लिए आवश्यक भी है लेकिन जो लोग हर दिन बार−बार चाय पीते हैं, उनके शरीर में इसकी मात्रा बहुत अधिक हो जाती है और किडनी के जरिए इसकी अतिरिक्त मात्रा शरीर से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। जिसके बाद हडि्डयों पर इसका असर पड़ता है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित एक केस के अनुसार, एक 47 वर्षीय महिला की जरूरत से ज्यादा चाय पीने की लत ने न सिर्फ उससे उसके सारे दांत छीन लिए, बल्कि इसके चलते उसकी हडि्डयों को भी काफी नुकसान पहुंचा। वह महिला एक दिन में करीबन 100 से 150 टीबैग्स का सेवन किया करती थी। चाय पीना उसके लिए एक लत थी। इस प्रकार यह साबित हो चुका है कि जरूरत से ज्यादा चाय का सेवन स्वास्थ्य के लिए हितकर नहीं है।
कहते हैं कि किसी भी चीज की अति क्षति का कारण बनती है। यूं तो चाय में पाया जाने वाला फलोराइड डेंटल कैविटी व अन्य समस्याओं के रोकथाम में मददगार होता है। चाय का सेवन हडि्डयों को नुकसान तब पहुंचाता है, जब 20 एमजी या उससे अधिक फलोराइड का सेवन प्रतिदिन किया जाए। अलग−अलग तरह की चाय में फलोराइड की मात्रा अलग होती है। मसलन, हर्बल टी में फलोराइड नहीं होता, जबकि व्हाइट व ओलोंग चाय में इसकी मात्रा काफी सीमित होती है। वहीं ब्लैक व ग्रीन टी में फलोराइड की उच्च मात्रा पाई जाती है। अमूमन एक लीटर चाय में 9 एमजी फलोराइड पाया जाता है। इसलिए जो लोग दिन में दो या तीन कप चाय पीते हैं, उन्हें परेशान होने की आवश्यकता है।