दुर्घटनाओं को न्योता दे रही टूटी सड़क
देहरादून। राजधानी दून के क्लेमनटाउन क्षेत्र की जनता इन दिनों कठिनाइयों से जूझ रही है। क्षेत्र से होकर गुजरने वाली एवं इस इलाके को मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली सड़क टर्नर रोड बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। जिस वजह से यहां से होकर गुजरने वाले राहगीरों एवं स्थानीय निवासियों को मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।
गौरतलब है कि आईएसबीटी के निकट तिराहे से होकर क्लेमनटाउन के भीतर तक जाने वाली ये सड़क इन दिनों खस्ता हाल है। सड़क चारो ओर से टूटी हुई है और इस रोड में जगह—जगह गहरे गढ्ढे बन चुके हैं। इन गढ्ढों में गिरकर रोजाना कई वाहन चालक एवं राहगीर चोटिल हो रहे हैं। हाल ही में बरसात के दिनों में इस सड़क ने और विकराल रूप इख्तियार कर लिया और इस मार्ग में कई जगह गढ्ढों में गहरा पानी भर गया। जिनमें फंसकर कई वाहन चालक दुर्घटनाओं का शिकार बन चुके हैं।
यदि इस सड़क की गुणवत्ता की ही बात करें तो इस सड़क का निर्माण लगभग दो वर्ष पूर्व किया गया था। लोक निर्माण विभाग द्वारा इस रोड के निर्माण की जिम्मेदारी जिस ठेकेदार को दी गई थी उसने सड़क के निर्माण के वक्त स्थानीय निवासियों से इस रोड के जल्द खराब न होने के बड़े—बड़े दावे किये थे। ठेकेदार का कथन था कि उसकी बनायी सड़क आने वाले दस सालों तक जस की तस रहेगी और उसकी गुणवत्ता में कोई खराबी नहीं आयेगी। किन्तु हुआ इसके बिलकुल विपरीत ये सड़क महज डेढ़ वर्ष भी अपनी सतह पर नहीं टिक पायी। जगह—जगह से सड़क की परतें उखड़ने लगी। सड़क के भीतर मिलायी गई निर्माण साम्रगी और बजरी जल्द ही उखड़कर फैलने लगी और उसके भीतर बड़े व गहरे गढ्ढे बनने लगे।
इस बात से सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सड़क के निर्माण में प्रयोग की जाने वाली सामग्री में किस हद तक मिलावट थी जो यह रोड ठेकेदार के दावे की ही तरह एक—डेढ़ साल भी अपनी मजबूती पर नहीं टिक पायी। यदि स्थानीय निवासियों की मानें तो वे इस गंभीर समस्या को लेकर कई मर्तबा स्थानीय प्रशासन से गुहार लगा चुके हैं किन्तु आजतक उनकी सुनवाई नहीं हुई और ना ही किसी अधिकारी द्वारा इस सड़क की सुध ली गई। पर्यटन और सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाने वाले क्लेमनटाउन क्षेत्र का यदि ये आलम है तो जिले के अन्य मार्गों का क्या सूरते हाल होगा इस बात के कयास आसानी से लगाये जा सकते हैं। क्लेमनटाउन के बुद्धा टेम्पल और छावनी क्षेत्र में घूमने आने वाले पर्यटकों पर इसका बुरा असर पड़ रहा है और स्थानीय लोगों के साथ ही पर्यटकों को भी फजीहतों का सामना करना पड़ रहा है।
बहरहाल अब देखना ये होगा कि प्रशासन और सम्बंधित विभाग कब नींद से जागेगा और आखिर कब इस जर्जर मार्ग की सुध ली जायेगी। फिलहाल तो यह दूर की कौड़ी ही नजर आ रही है।