हरीश रावत की दूरदर्शिता एवं अनुभव की जीत
हरीश रावत को एक कुशल राजनीतिज्ञ एवं अनुभवी व्यक्ति के तौर पर पूरा देश जानता है। उनकी इसी शैली ने आज पूरे देश को उनकी कुशलता से वाकिफ करवा दिया है। उत्तराखण्ड विधानसभा में शक्ति परीक्षण के दौरान उन्होंने भाजपा को चारों खाने चित कर दिया है। बहुमत हरीश रावत के पक्ष में आया है। विधानसभा के बाहर आकर रावत ने मीडिया को एक मोटी सी मुस्कान दी। उनकी इस मुस्कान ने ये जाहिर कर दिया था कि उन्होंने उत्तराखण्ड की सियासत का किला फतह कर लिया है।
हरीश रावत के साथ ही उनके समर्थक विधायक भी बेहद प्रसन्नता की मुद्रा में नजर आये। उनकी बॉडी लैंग्वेज ने ये वहां मौजूद लेागों को यह साफ बता दिया था कि जीत उन्हीं की पार्टी की हुई है। हरीश रावत की इस उपलब्धि के साथ ही उत्तराखण्ड की सियासत पर अब उनका एकछत्र राज स्थापित हो गया है। हरीश रावत का शक्ति परीक्षण के दौरान जीत हासिल करना भाजपा और कांग्रेस के नौ बागी विधायकों समेत उनके कट्टर विरोधियों के मुंह पर एक करारा तमाचा है।
गौरतलब है कि हरीश रावत को उनके करीबी राजनीति के चाणक्य में रूप में जानते हैं। रावत को देश की राजनीति में बेहद अनुभवी और दूरदर्शी राजनेता के रूप में पहचान प्राप्त है। यूपीए की सरकार के दौरान केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं रावत ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां भी हासिल की जो उनके राजनीतिक कैरियर में मील का पत्थर साबित हुई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेहद करीबी लोगों में गिने जाने वाले रावत को इसका भरपूर फायदा मिला और वे साल 2014 में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री बना दिये गये किन्तु उनके पद संभालने के बाद से ही राज्य के भीतर उनके विरोध के सुर भी सुनाई देने लगे।
उनके कट्टर विरोधी उनकी सरकार को किसी भी तरह से गिराने पर आमादा हो गये। पिछले लगभग दो वर्षों में कई बार हरीश रावत की कुर्सी की टांगे खींचने के प्रयास किये गये किन्तु हर बार हरीश रावत अपनी कुर्सी बचाने में कामयाब हो गये। मगर इस बार बीजेपी ने रावत को घेरने के लिए पूरी तरह से कमर कसकर चक्रव्यूह तैयार किया था जिसे भेदने में रावत कामयाब हो गये। हरीश की जीत के साथ ही कांग्रेस से बगावत करने वाले नौ बागी विधायकों के राजनीतिक भविष्य पर भी सवालिया निशान लग गया है। विश्वास मत हासिल करने के बाद हरीश रावत ने मीडिया को संबोधित करते हुए बेहद विनम्रता से भाजपा और अपने विरोधियों को जवाब दिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत भाजपा के नेताओं से उत्तराखण्ड के हित के लिए मिलजुलकर कार्य करने का आग्रह किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में बसपा सुप्रीमों मायावती का भी धन्यवाद प्रकट किया जिनके सपोर्ट से वे बहुमत हासिल कर पाये।
ये हरीश रावत की सुलझी हुई राजनीति का ही मुजाहिरा है कि इतने बड़े सियासी भूचाल के बावजूद भी पूरे घटनाक्रम के दौरान उन्होंने अपना आपा नहीं खोया और बेहद नपे-तुले शब्दों में विनम्रता के साथ ही अपने विरोधियों का सामना किया। हरीश रावत की जीत जहां कांग्रेस पार्टी को राहत देने वाली है तो वहीं राज्य के विकास के लिए भी एक अच्छा संकेत है।