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शर्मनाक! मोदी सरकार कर रही महिलाओं का अपमान

देहरादून। एक्टू से संबद्ध उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन ने सरकार द्वारा डायरिया और नसबंदी पखवाड़े में राज्य की कई जगहों पर “आशा निरोध” बांटे जाने की तीव्र निंदा करते हुए इसे आशाओं और सभी महिलाओं के लिए बेहद अपमानजनक बताया है।
नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत वितरित किए जा रहे निरोध का नामकरण महिला हेल्थ वर्कर आशाओं के नाम पर किया जाना मातृशक्ति के लिए अपमानजनक तो है ही इससे पता चलता है कि देश के नेता और नौकरशाह किस हदतक मानसिक दिवालियेपन के शिकार हैं।

केन्द्र सरकार द्वारा संचालित एनआरएचम के तहत वितरित किए जाने वाले निरोध को आशा नाम देने के लिए जहां केन्द्र की मोदी सरकार जिम्मेदार हैं, वहीं राज्य सरकार द्वारा इसे ज्यों का त्यों स्वीकार किया जाने से पता चलता है कि राज्य सरकार और उसके अधिकारी किस हदतक गैरजिम्मेदार हैं। महिला कर्मचारियों का कहना है कि अगर उनके नाम पर निरोध का नामकरण हो सकता है तो ‘प्रधानमंत्री निरोध’ और ‘स्वास्थ्य मंत्री निरोध’ क्यों नहीं हो सकता।

देशभर में मोदी सरकार के इस आशा निरोध का जमकर विरोध हो रहा है। यूनियन ने प्रेस-बयान में कहा कि इस अपमानजनक व्यवहार के ख़िलाफ़ पूरे प्रदेश में यूनियन द्वारा स्वास्थ्य मंत्री का पुतला दहन किया जायेगा। “एक ओर तो सरकार तमाम काम करने के बावजूद आशाओं को मासिक मानदेय तक देने को राजी नहीं है और उनके श्रम का लगातार शोषण हो रहा है।

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इसके ख़िलाफ़ आशाएँ पूरे प्रदेश में डायरिया और नसबंदी पखवाड़े का बहिष्कार कर रही हैं। दूसरी ओर सरकार ने आशाओं के जले पर नमक छिड़कते हुए राज्य के कई भागों में आशाओं को “आशा निरोध” बाँटने का फरमान सुना दिया है। इस अपमान का पुरजोर विरोध किया जायेगा।

अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य की हरीश रावत सरकार को इस तरह के हथकंडे सम्मान का पर्याय लगते हैं तो उन्होंने ‘प्रधानमंत्री निरोध’ “मुख्यमंत्री निरोध” और “स्वास्थ्य मंत्री निरोध” क्यों नहीं जारी किये। (साभार: वाॅचडाॅग)

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