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भारतीय कंपनियों ने जुटाए 8.5 लाख करोड़ रुपये
नयी दिल्ली। पूंजी जुटाने संबंधित गतिविधियों में इस साल तेजी देखने को मिली और समाप्त हो रहे वर्ष 2017 के दौरान भारतीय कंपनियों ने पूंजी बाजार से अनुमानित 8.5 लाख करोड़ रुपये की विशाल पूंजी जुटाई। कंपनियों ने बाजार से धन जुटाने के लिए ऋण पत्र जारी करने के तरीको को वरीयता दी।
माना जा रहा है कि कंपनियों को वर्ष 2018 में ऋण के रूप में पूंजी की उपलब्धता ओर उसकी लागत को लेकर कठिनायी महसूस कर सकती है और वे विकल्प के तौर पर विदेशी बाजार से रिण लेने या वे शेयर बेच कर धन जुटाने का रास्ता अपना सकती हैं। बाजारों का विश्लेषण कंपनी प्राइम डाटाबेस द्वारा संकलित आंकड़ों के मुताबिक पूंजी बाजार से जुटाए गए कुल 8.5 लाख करोड़ रुपये में बहुत बड़ा हिस्सा (यानी 7 लाख करोड़ से ज्यादा ) ऋण बाजार से जुटाया गया। 2017 में कंपनियों ने शेयर बाजार से 1.45 लाख करोड़ रुपये जुटाए गए।
इसमें अधिकांश पूंजी प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) और संस्थागत निवेशकों को शेयर जारी करके एकत्र की गई। यह पूंजी मुख्यत: कारोबार विस्तार योजना, ऋण अदायगी और कार्यशील पूंजी भंडार को बढ़ाने के लिए जुटाई गई जबकि आईपीओ से जुटाई गई राशि का एक बड़ा हिस्सा प्रवर्तकों, निजी इक्विटी फर्मा और मौजूदा शेयरधारकों के पास भी गया।
बजाज कैपिटल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और निवेश वैश्लेषिकी के प्रमुख आलोक अग्रवाल ने कहा, “नोटबंदी ने ब्याज दरों (उधार लेने की लागत) में गिरावट और पूंजी बाजारों में पर्याप्त तरलता सुनिश्चित की। ऋण खर्च में कमी और कंपनियों के ऋण बॉन्ड के लिए मजूबत मांग ने भारतीय कंपनियों के लिए ऋण जुटाने को आसान बनाया। इसके अतिरिक्त, निजी पूंजीगत खर्च में कमी के साथ कंपनियों ने ज्यादातर पूंजी अल्पकालिक पूंजी उद्देश्यों के लिए जुटाई।
इस तरह के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए शेयर नहीं बल्कि ऋण पत्र पसंदीदा मार्ग है।” ऋण पत्र खंड में, कंपनियों ने आपसी आधार पर ऋण पत्रों के नियोजन मार्ग के जरिए 6.2 लाख करोड़ रुपये, 6,282 करोड़ रुपये सार्वजनिक ऋण पत्र जारी करके और 60,580 करोड़ रुपये बॉन्ड के माध्यम से जुटाए गए।
इक्विटी यानी शेयरों के खंड में, आईपीओ की मदद से 68,000 करोड़ रुपये, उसके बाद पात्र संस्थागत नियोजन से 49,703 करोड़ रुपये, स्टॉक एक्सचेंज तंत्र के माध्यम से बिक्री पेशकश से 14,712 रुपये, शेयरों के राइट्स इश्यू से 5,800 करोड़ रुपये और संस्थागत नियोजन कार्यक्रमों से 4,668 करोड़ रुपये जुटाए गए।