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यदि आपका वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो कम्पनी को करना ही होगा भुगतान

हम सभी वाहन खरीदते समय अपने वाहन का दुर्घटना बीमा जरूर कराते हैं, क्योंकि ऐसा करना कानूनन जरूरी भी है। मगर हम में ज्यादातर लोग वाहन का बीमा करवाते वक़्त उस बीमा कंपनी की शर्तों और नियमों को ध्यान से नहीं पढ़ते हैं। जिस वजह से आगे चलकर हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं कि दुर्भाग्यवश यदि आपका वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है और बीमा कंपनी अपने नियमों का हवाला देकर आपको बीमा राशि का भुगतान करने से मुकर जाए तो क्या करें।

गौरतलब है कि यदि वाहन मालिक या भुगतान पर रखे गए चालक के बजाय किसी दूसरे व्यक्ति के हाथ में कार का स्टीयरिंग हो और वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो जाए तो बीमा कंपनियाँ ऐसे मामलों में दावे का भुगतान करने से इनकार करती रहीं हैं, लेकिन कुछ समय पूर्व बम्बई उच्च न्यायालय ने ऐसे मामलों में स्थिति स्पष्ट करते हुए लोगों को बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय ने बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) और शुल्क परामर्श समिति (टीएसी) को उस सर्कुलर को प्रकाशित कराने को कहा है जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि मालिक और भुगतान पर रखे गए चालक के अलावा दूसरे ड्राइवर भी दुर्घटना बीमा पालिसी की सुरक्षा के दायरे में आते हैं।

टीएसी ने 4 अक्टूबर 2005 को एक सर्कुलर जारी कर स्पष्ट किया था कि उसने इंडिया मोटर टैरिफ (आईएमटी) 2002 से ‘लेकिन वाहन न चला रहा हो’ शब्दों को हटा दिया है जिसका अर्थ यह है कि अनपेड ड्राइवर और वह व्यक्ति जो वाहन का मालिक नहीं है, अगर वाहन चला रहा है तो पालिसी के दायरे में आएगा।  हालाँकि कई बीमा कंपनियों ने नियमों में बिना फेरबदल किए ही बीमा पालिसियाँ जारी की और बाद में दावे का भुगतान करने से मुकरती रहीं। ऐसा ही एक मामला उस समय प्रकाश में आया जब राजेश सेठ नाम के एक व्यक्ति के परिजनों ने न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की।

वर्ष 2004 में कार चलाते समय एक सड़क दुर्घटना में राजेश की मृत्यु हो गई थी। जो कार वह चला रहे थे वह उनके पिता गिरीश कुमार सेठ के नाम से पंजीकृत थी। राजेश के परिजनों ने न्यू इंडिया इंश्योरेन्स में दो लाख रुपए का दावा पेश किया लेकिन कंपनी ने इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि पालिसी के अंतर्गत अनपेड ड्राइवर नहीं आते।

ये तो महज एक उदाहरण मात्र है, मगर ऐसे कईं मौके होते हैं जब बीमा कंपनी दुर्घटना होने पर वाहन स्वामी को तरह-तरह के नियम और कायदे बता कर इंश्योरेंस क्लेम देने से इंकार कर अपना पल्ला झाड़ लेती है। ऐसे में जरूरत है पूरी जानकारी जुटाने की और जागरूक बनने की। अगले लेख में फिर मिलेंगे एक अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के साथ।

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