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यदि आपको भी है सेल्फी लेने का शौक तो सावधान, कहीं आप किसी बीमारी की जद में तो नहीं!

आज के आधुनिक दौर में हर कोई तेजी से बदल रहा है। आज लगभग हर किसी के पास स्मार्टफोन है। इस स्मार्ट फोन के साथ ही सामने आया फ्रंट कैमरा। इस कैमरे के आ जाने से लोगों में सेल्फी यानी खुद की तस्वीर लेने का क्रेज तेजी से बढ़ गया। लेकिन सेल्फी लेने का ये नशा कब पागलपन में बदल गया किसी को समझ ही नहीं आया। आज लोग अलग और आकर्षक सेल्फी लेने के चक्कर में चेहरे पर तरह-तरह के भाव उत्पन्न कर सेल्फियां ले रहे हैं। वहीं कुछ लोग अपनी जान जोखिम में डालकर भी इस तरह की तस्वीरें लेते है। महज कुछ लाइक्स और शेयर के लिए इस तरह के जोखिम उठाना बिल्कुल भी सही नहीं हैं, ऐसा करने से बचें।

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यदि आपके पास मोबाइल है और आप सेल्‍फी लेने के दीवाने हैं, तो जरा इस जानकारी को आपको बहुत ही गहराई से जानने की जरूरत है, क्‍योंकि सेल्‍फी का चस्‍का लोगों में भयावह रोगों को भी जन्‍म दे रहा है, और इसका इलाज भी मुश्‍किल है। दरअसल, सेल्फी की सनक में लोग समय, जगह और स्वयं तक को भूल गए हैं। वे चलती ट्रेनों, पहाड़ की ऊंची-ऊंची चोटियों, गगन चुम्बी इमारतों व अन्य जोखिम भरे स्थानों पर स्वयं को कैमरों में कैद करने लगे। नतीजा भी साफ दिखने लगा है और आए दिन सेल्फी मौत का कारण बनती जा रही है।

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खास बात यह है कि सेल्‍फी के शौक ने सेल्फिशनेस को पैदा कर दिया है। पहले हम एक दूसरे के दिलों और विचारों के करीब होते थे, मगर अब तो लोग महज एक दूसरों के चेहरों के करीब होने लगे, कन्धों की तरफ झुकने लगे और खूबसूरत दिखने की लत में झूठी मुस्कान भी चेहरे पर सजाने लगे।

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अमेरिकन साइकेट्रिक एसोसिएशन के मुताबिक, अगर आप दिन में तीन से ज्यादा सेल्फी लेते हैं, तो यकीनन आप मानसिक रूप से बीमार हैं और इस बीमारी को सेल्फीटिस का नाम दिया। वास्तव में यह उस बीमारी का नाम है, जिसमें व्यक्ति पागलपन की हद तक अपनी फोटो लेने लगता है और उसे सोशल मीड़िया पर पोस्ट करने लगता है।

इतना ही नहीं, ऐसा करने से धीरे-धीरे उसका आत्मविश्‍वास कम होने लगता है, निजता पूरी तरह से भंग हो जाती है और वह एंग्‍जाइटी का इस कदर शिकार हो जाता है कि आत्महत्या करने की सोचने लगता है। यकीं मानिए इसका इलाज भी मुश्‍किल है और हर केस में डॉक्‍टर फौरी तौर पर दवाइयां तो लिख देता है, लेकिन इसे एक तरह से रोगी को अपने हाल और हालात पर छोड़ देने के जैसा है।

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वहीं सेल्फी लेने के दीवाने सेल्फी लेते समय तरह-तरह के चेहरे बनाकर पोज लेते हैं जो कई बार हास्यास्पद भी नजर आते हैं। सोशल मीडिया में सबसे अलग दिखने के चक्कर में लोगों को ये लत लग चुकी है। जिससे पार पाना बेहद मुश्किल है। इसके अलावा किसी सेलेब्रिटी के साथ सेल्फी लेकर सबसे पहले सोशल मीडिया में पोस्ट करने का क्रेज भी तेज से फैलता जा रहा है। कुछ दिनों पूर्व राहुल गांधी के साथ एक युवती द्वारा ली गई सेल्फी ने देशभर में काफी सुर्खियां बटोरी थी।

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वहीं सेल्फी के क्रेज से हमारे राजनेता भी नहीं बच पाये हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की एक सेल्फी उस वक्त चर्चाओं में आयी जब साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान पोलिंग बूथ के बाहर ही नरेन्द्र मोदी भाजपा के सिम्बल के साथ सेल्फी लेने लगे थे। उस वक्त मोदी प्रधानमंत्री नहीं बने थे। मोदी के सेल्फी लेने पर उनके विराधियों ने उनपर कई तरह के आरोप भी लगाये थे।

वाकई इंसान आज कितना अकेला हो गया है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसे फोटो लेने के लिए भी सेल्फी का सहारा लेना पड़ रहा है। बहरहाल हम सिर्फ इतना ही कहना चाहते कि सेल्फी लेना एक शौक तो ठीक है मगर इसे पागलपन में बदलने से रोकें। सेल्फी लेने के चक्कर में अपनी जिन्दगी को खतरे में न डालें। याद रखें जीवन बहुत अनमोल है, आपकी तस्वीर पर कुछ लोगों के द्वारा की जाने वाली तारीफ के चक्कर में इसे न गवायें। समझदार बनें और अपने विवेक से काम लें।

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