Breaking NewsNational

जानिए क्या हुआ जब भरी अदालत में आरोपी ने रेप पीड़िता को कहा वैश्या

नई दिल्ली। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमारे देश में लोगों का आज भी अदालतों पर भरोसा क़ायम है। किसी आपसी झगड़े को लेकर भी लोग एक-दूसरे को अदालत में देख लेने की धमकी देते हैं। किसी भी लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत होती है जनता का न्याय व्यवस्था पर विश्वास करना। ऐसे ही एक मामले को लेकर कोर्ट ने आरोपी को 7 साल की सज़ा सुनाई है। अदालत में बलात्कार के आरोपी ने आरोपों से बचने के लिए रेप पीड़ित महिला को ही वैश्या कह दिया।

इस पर अदालत ने संज्ञान लेते हुए आरोपी को 7 साल कारावास की सजा सुनाई है। दिल्ली की एक ट्रायल कोर्ट ने कहा ‘बिना किसी ठोस सबूत के किसी भी महिला को ग़ैर-ज़िम्मेदाराना तरीके से वैश्या बोलना गैर-क़ानूनी है। जबकि किसी नाबालिक के साथ बलात्कार करने का अपराध तो और भी बड़ा है। अदालत ने साथ ही निर्देश दिए कि महिला को मुआवजे के रूप में 5 लाख रुपये का भुगतान भी किया जाए।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि ‘आरोपी मुमताज़ अली जो कि सिलाई का काम करता है, ने मार्च 2015 में जब वो घर पर अकेली थी उसके साथ दो बार रेप किया। पीड़ित महिला ने बताया कि जब अली ने उसके साथ पहली बार रेप किया तो उसने धमकी दी थी कि किसी को बताया तो वो उसके बच्चों का अपहरण कर लेगा। लेकिन धमकी के बाद भी महिला ने एक कारखाने में काम करने वाले अपने को फ़ोन किया, जिस पर कारखाना मालिक ने पुलिस को सूचना देने को कहा। इसके बाद महिला ने पुलिस को इस सम्बन्ध में सूचना दी।

rape victim

पीड़िता ने आरोप लगाया कि ‘आरोपी मुमताज़ अली जो कि सिलाई का काम करता है, ने मार्च 2015 में जब वो घर पर अकेली थी उसके साथ दो बार रेप किया। पीड़ित महिला ने बताया कि जब अली ने उसके साथ पहली बार रेप किया तो उसने धमकी दी थी कि किसी को बताया तो वो उसके बच्चों का अपहरण कर लेगा। लेकिन धमकी के बाद भी महिला ने एक कारखाने में काम करने वाले अपने को फ़ोन किया, जिस पर कारखाना मालिक ने पुलिस को सूचना देने को कहा। इसके बाद महिला ने पुलिस को इस सम्बन्ध में सूचना दी।

अदालत ने इस दौरान कहा ‘इस मामले को लेकर हुए विरोधाभास का अभियोजन पक्ष पर कोई असर नहीं पड़ा है। मुद्दा ये नहीं था कि पुलिस को किसने बुलाया? लेकिन इस केस का मुख्य विषय ये था कि क्या अभियोजन पक्ष यौन उत्पीड़न का शिकार है या नहीं? इस दौरान आरोपी पक्ष ने आरोप लगाया कि पीड़ित महिला के पति ने उनके घर आकर मामले को सुलझाने के ऐवज में 5 लाख रुपये की मांग की थी और कथिततौर पर आधी राशि का भुगतान भी किया गया था। लेकिन आरोपी पक्ष इस संबंध में कोर्ट के समक्ष सबूत नहीं रख सका। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश शैलेंद्र मलिक ने कहा कि अपराधी किसी भी माफ़ी का हकदार नहीं हैं। इसलिए आईपीसी की धारा 376 के तहत 10,000 रुपये जुर्माने के साथ आरोपी को 7 साल की सज़ा सुनाई गयी है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button