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गैर मर्द के संग बिना तलाक रहना चाहती थी, कोर्ट ने किया नामंजूर

इलाहाबाद। दो बच्चों की मां ने हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की थी। याचिका में महिला ने इजाजत मांगी थी कि उसे बिना तलाक के किसी और के साथ रहने की मंजूरी दे दी जाए। उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए कहा, कोर्ट अपने स्तर से महिला को बिना तलाक ‘उसके’ साथ रहने की इजाजात नहीं दे सकता।

मूलरूप से बिहार की रहने वाली संगीता की शादी 10 साल पहले सीताराम के साथ हुई थी। संगीता की दो बेटियां भी हैं। संगीता का आरोप है कि उसका पति उसके साथ हमेशा मारपीट करता है। 20 जुलाई 2018 को उसके पति ने उसे घर से निकाल दिया। बेघर होने के बाद से ही वह गांव के ही हीरालाल के घर में रह रही है। याचिका में भी संगीता ने हीरालाल के साथ रहने की इच्छा जताई थी और उसी के साथ सुरक्षित होने की बात कही थी। संगीता ने हीरालाल को भी याची बनाया था।

याचिका पर आदेश पारित करते हुए जस्टिस अजय लांबा और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेच ने कहा, केस के तथ्य एंव परिस्थितियों के मद्देनजर उसे किसी प्रकार के निर्देश जारी करने की आवश्यकता नहीं प्रतीत होती। याचिका का विरोध करते हुए अपर शासकीय अधिवक्ता रवि सिंह सिसोदिया ने तर्क दिया कि पति ने हीरालाल के खिलाफ बहराइच की कोतवाली देहात पर 25 जुलाई 2018 को आईपीसी की धारा 498 के तहत एनसीआर दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया कि हीरालाल उसकी पत्नी को भगाकर ले गया है।

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