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जानिये छिपकली से जुड़ी कुछ रोचक बातें
छिपकली आखिर छत पर उल्टी कैसे दौड़ लेती है? यह सवाल बच्चों के लिए जिज्ञासा का विषय है। दरअसल छिपकली के चलने को लेकर जंतु विज्ञानी अलग−अलग मत व्यक्त करते रहे हैं। कुछ जंतुविज्ञानियों का दावा था कि छिपकली के पंजों से किसी चिपचिपे पदार्थ का स्राव होता है। जो उसे छत और खड़े दीवारों से चिपकाए रखता है। लेकिन जल्द ही यह दावे गलत साबित हुए और कहा गया कि इसके पंजों में निर्वात यानी खाली स्थान बन जाता है। इसीलिए छिपकली कहीं भी आसानी से दौड़ लगा देती है। लेकिन जल्द ही यह मत भी खारिज हो गया क्योंकि कई ऐसी छिपकलियां भी दीवार में चिपकी रह सकती हैं जिनके पंजे में खाली स्थान नहीं बनता।
दरअसल छिपकली के पंजों में बाल के समान लगभग 1 लाख 50 हजार अत्यंत बारीक शुल्कनुमा संरचनाएं होती हैं। यह बालनुमा शुल्करचना खुद दो हजार हिस्सों में बंटी होती है। इन रचनाओं के सिर हुकनुमा होते हैं। असल में ये इतनी बारीक होती हैं कि कांच के जैसी चिकनी सतह पर भी पकड़ बना लेती हैं। मतलब कि हम कांच को चिकना समझते हैं फिर भी छिपकली के लिए यह कांच खुरदरा होता है और छिपकली कांच जैसी सतह पर उन बारीक हुकों से पकड़ बनाकर चल लेती है।
अगर आपने छिपकली पर थोड़ा भी ध्यान दिया होगा तो उसकी एक और खासियत से परिचित हुए होंगे। जब भी उसे अपनी जान खतरे में दिखती है वह अपनी पूंछ छोड़कर भाग जाती है। आपके मन में यह सवाल उठा रहा होगा कि छिपकली क्यों छोड़ती है अपनी पूंछ और इससे क्या होता है। दरअसल जब भी उसे खतरे का आभास होता है पहले तो उस जगह से भागने की कोशिश करती है। लेकिन जब इसमें कामयाब नहीं हो पाती तो दुश्मन को चकमा देने के लिए वो अपनी पूंछ छोड़ कर फरार हो जाती है। वह अपने दुश्मनों को चकमा देने के लिए कभी−कभी दीवार या छत से टपक भी पड़ती है। लेकिन जब उसे लगता है कि अब जान पर बन आई है तो वह पूंछ छोड़कर भाग जाती है। छिपकली के ऐसा करते ही पूंछ उसी जगह बुरी तरह छटपटाती रहती है।
दरअसल इसकी पूंछ की हड्डी का जुड़ाव बेहद कच्चा होता है। थोड़ा सा दबाव या झटका लगने से पूंछ शरीर से अलग हो जाती है। जब पूंछ टूटती है तो वहां से खून भी नहीं निकलता। क्योंकि वह रक्त नली से जुड़ी नहीं होती। खास बात ये है कि उसकी पूंछ दोबारा निकल आती है। लेकिन वह पहले के मुकाबले कम खूबसूरत होती है। टूटी पूंछ वाली छिपकली के साथ उसके साथी कैसा व्यवहार करते हैं इसका पता जंतुविज्ञानी भी नहीं लगा सके हैं।