आपकी डिवाइस के साथ फ़ेसबुक ऐसे कर रहा है छेड़छाड़
नई दिल्ली। इन दिनों तेजी से फेसबुक पर कम होते विश्वास के चलते अगर आपने इसका ऐप अपने डिवाइस से हटा दिया है तब भी कंपनी आपको ट्रैक कर सकती है। निजता के अधिकार के लिए काम करने वाली कंपनी प्राइवेसी इंटरनेशनल के अध्ययन में यह बात सामने आई है। रिसर्च के मुताबिक आपने मोबाइल पर फेसबुक ऐप इंस्टॉल नहीं किया है या आपका फेसबुक अकाउंट नहीं है तब भी फेसबुक कंपनी दूसरे ऐप की मदद से आपके डेटा तक पहुंच बना सकती है।
ऐसे सभी ऐप जिन्हें बनाते समय फेसबुक एसडीके नाम के ऐप डेवलपिंग टूल का इस्तेमाल किया गया, वे यूजर का डेटा फेसबुक को भेज सकते हैं। ड्यूलिंगो, ट्रिपएडवाइजर, इंडीड और स्काय स्कैनर जैसे नामी एंड्राॅइड ऐप भी यूजर का डेटा फेसबुक के साथ शेयर कर रहे हैं। जर्मनी के शहर लाइपजिग में हुई ‘कैओस कम्प्यूटर कांग्रेस’ में इस रिसर्च को प्रस्तुत किया गया।
अध्ययन में शामिल 61% ऐप फेसबुक को भेजते हैं डेटा:
रिसर्च में प्राइवेसी इंटरनेशनल ने 10 से लेकर 50 करोड़ तक के यूजर बेस वाले ऐसे 34 एंड्राॅइड ऐप का अध्ययन किया जो फेसबुक के साथ डेटा शेयर करते हैं। 2018 में अगस्त से लेकर दिसंबर तक इन चुने हुए ऐप पर नजर रखी गई और देखा गया कि ये किस तरह का डेटा फेसबुक को भेजते हैं। अध्ययन में पता चला कि ऐप डेवलपर ऐप डेवलपिंग टूल ‘फेसबुक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट’ के जरिए यूजर का डेटा फेसबुक तक पहुंचा रहे हैं। फेसबुक एसडीके टूल एक फ्री टूल किट है जो डेवलपर को ऐप डेवलप करने के लिए उपलब्ध होता है। इस टूल किट से डेवलपर को कई फीचर उपलब्ध हो जाते हैं। अध्ययन में 34 एंड्राॅइड ऐप्स को शामिल किया गया था। रिजल्ट में पाया गया कि इसमें से 23 ऐप यूजर के ओपन करते ही डेटा ऑटोमैटिकली ट्रांसमिट कर देते हैं।
ऐसे चोरी हो रहा है डेटा:
ज्यादातर एप डेवलपिंग कंपनियां फेसबुक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट किट (एसडीके) इस्तेमाल कर रही हैं। जितने भी एप एसडीके के जरिए डेवलप हुए हैं, वे सभी फेसबुक से जुड़े हैं। यूजर जितनी बार एप का इस्तेमाल करता हैं, उतनी बार डेटा फेसबुक तक पहुंचता है।
यह डेटा चोरी हो रहा है:
मोबाइल फोन में सेव किए गए नंबर, फोटो-वीडियो, ई-मेल्स आप किन-किन साइट्स को कितने समय तक देखते हैं या देख चुके हैं। एप्स पर किस तरह की जानकारियां खोजते हैं आदि।
डेटा भेजने वाले 23 एप्स में से पांच ये हैं:
भाषा सिखाने वाल एप डुओलिंगो, ट्रैवल एंड रेस्टोरेंट एप, ट्रिप एडवाइजर, जॉब डेटाबेस इनडीड और फ्लाइट सर्च इंजन स्काई स्कैनर के नाम सामने आ चुके हैं। ब्रिटिश संस्था ने बाकी के 18 एप्स का खुलासा अभी नहीं किया है।
फेसबुक डेटा को ऐसे इस्तेमाल करती है:
एप से फेसबुक को यूजर के व्यवहार की जानकारी मिल जाती है। यह जानकारियां बेची भी जाती हैं। इसके आधार पर तय किया जाता है कि यूजर को किस वक्त कौन सा विज्ञापन दिखाया जाए।
डेटा शेयर करना आम बात:
प्राइवेसी इंटरनेशनल के इस अध्ययन से सामने आए परिणामों पर सफाई देते हुए फेसबुक ने कहा, “कई कंपनियां डेटा शेयर करती हैं और यह एक आम बात है। डेटा शेयर करना यूजर और कंपनी दोनों के लिए उपयोगी होता है। इन जानकारियों से ऐप डेवलपर को अपने ऐप की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिलती है। यह एक पारदर्शी प्रक्रिया है जिसकी जानकारी हमारी डेटा और कुकीज पॉलिसी के जरिए यूजर्स को दी जाती है।” फेसबुक के अनुसार नॉन फेसबुक यूजर्स कुकीज को कंट्रोल कर सकते हैं और यह निश्चित कर सकते हैं कि उनके डेटा के अनुसार उन्हें विज्ञापन दिखाए जाएं या नही। हालांकि, प्राइवेसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक यूजर अगर इसे ऑफ कर दे तब भी उनका डेटा शेयर होता रहता है। वहीं, स्काय स्कैनर का कहना है कि ऐप का नया वर्जन जारी किया गया है, जिससे डेटा लीक नहीं होगा।