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कांग्रेस पार्टी की महासचिव बनीं प्रियंका गांधी

नई दिल्ली। कांग्रेस संगठन में बुधवार को गांधी परिवार के एक और सदस्य की आधिकारिक एंट्री हो गयी। प्रियंका गांधी वाड्रा को आज पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभार भी सौंप दिया गया। इस बात की भी चर्चाएं हैं कि प्रियंका रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगी क्योंकि उनकी मां और रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है। प्रियंका रायबरेली में अपनी मां का कार्य पिछले कई वर्षों से देख रही हैं और नियमित रूप से लोगों के संपर्क में रहती हैं।

प्रियंका हालांकि पिछले कई सालों से इस बात से इंकार करती रही हैं कि वह राजनीति में आएंगी लेकिन अब आखिरकार पार्टी में उनका प्रवेश हो ही गया। प्रियंका में लोग उनकी दादी इंदिरा गांधी की छवि देखते हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं की लंबे समय से यह मांग रही है कि उन्हें राजनीति में लाया जाये। प्रियंका हालांकि अभी पर्दे के पीछे से अपने भाई राहुल गांधी की मदद करती रही हैं लेकिन अब वह महासचिव के रूप में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मदद करेंगी।
प्रियंका को उत्तर प्रदेश का प्रभार सौंपा जाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रदेश ही वह राज्य था जिसमें मिली बड़ी जीत की वजह से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बन पाये थे। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनावों के लिए समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का गठबंधन हो गया है और कांग्रेस को इसमें जगह नहीं मिली है। कांग्रेस ने ऐलान किया है कि वह सभी लोकसभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी और जीत हासिल करेगी। इस खबर के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश और जश्न का माहौल है और लोकसभा चुनावों में अब उत्तर प्रदेश में भी भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल सकती है।
कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रियंका गांधी फरवरी के पहले सप्ताह में कार्यभार संभालेंगी। इसके अलावा पार्टी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश एक जमाने में कांग्रेस का गढ़ माना जाता था इसलिए यहां पार्टी में जान फूंकने का काम प्रियंका गांधी को दिया गया है। अभी तक उत्तर प्रदेश का प्रभार देख रहे गुलाम नबी आजाद से प्रदेश का प्रभार लेकर हरियाणा का प्रभार तत्काल प्रभाव से दे दिया गया है।
इसके अलावा पार्टी महासचिव (संगठन) का कामकाज देख रहे अशोक गहलोत की जगह पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल की नियुक्ति की गयी है। वेणुगोपाल कर्नाटक का प्रभार पहले की तरह देखते रहेंगे। अशोक गहलोत राजस्थान का मुख्यमंत्री बन जाने के बाद से पार्टी महासचिव के कार्य के लिए समय नहीं निकाल पा रहे थे और उनके अनुरोध पर उन्हें इस कार्य से मुक्त करते हुए इस पद पर उनके कामकाज की प्रशंसा की गयी है।

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