जन-जन की प्रिय सुषमा, देश तुम्हें युगों-युगों तक याद रखेगा
भारतीय जनता पार्टी की ओजस्वी वक्ता, वरिष्ठ नेत्री एवं पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज अब हमारे बीच नहीं रहीं। सुषमा स्वराज भले ही दुनिया छोड़कर चली गई हों मगर उनके द्वारा किए गए सराहनीय एवं जनहित के कार्यों को देश युगों-युगों तक याद रखेगा। आम जन में अपार लोकप्रियता हासिल करने वालीं भारतीय जनता पार्टी की दिग्गज नेत्री सुषमा स्वराज का मंगलवार को रात में 11.24 बजे दिल्ली में निधन हो गया। श्रेष्ठ वक्ता और उत्कृष्ठ नेतृत्व क्षमता की धनी सुषमा स्वराज की लोकप्रियता भारतीय जन में ही नहीं देश की सीमाओं के पार भी थी। विदेश मंत्री रहते हुए उन्होंने जिस समर्पण के साथ अपना कर्तव्य निभाया वास्तव में वह एक मिसाल है। क्या पाकिस्तान, क्या बांग्लादेश, कहीं का भी कोई बीमार, मजबूर व्यक्ति यदि उन्हें सिर्फ ट्वीट करके भी अपनी परेशानी बताता था तो वे उसकी हर संभव मदद करती थीं। विदेशों में बसे भारतीयों पर जब भी संकट आया, उनकी मदद के लिए सुषमा स्वराज ने कभी देर नहीं की। यही कारण है कि उनके निधन ने पूरे देश को गमगीन कर दिया।
नौ बार सांसद रहीं सुषमा स्वराज आम लोगों मे अपार लोकप्रिय थीं। उनको ट्वीटर पर एक करोड़ 20 लाख से अधिक लोग फॉलो करते थे। वे दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं। सुषमा स्वराज सन 1977 में हरियाणा में सबसे कम उम्र की मंत्री बनी थीं। अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वे सूचना एवं प्रसारण मंत्री और स्वास्थ्य मंत्री रहीं। सुषमा स्वराज ने अस्वस्थता के कारण ही पिछला लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था। उनके इस निर्णय पर बीजेपी के ही समर्थकों में हैरानी थी। कई लोगों ने उनसे चुनाव लड़ने की अपील की थी। इस पर सुषमा स्वराज ने जवाब दिया था कि- ‘मेरे चुनाव ना लड़ने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। श्री नरेंद्र मोदी जी को पुनः प्रधानमंत्री बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवारों को जिताने में हम सब जी जान लगा देंगे।’ सुषमा स्वराज ट्विटर पर काफी सक्रिय रहती थीं। विदेश मंत्री रहते हुए वे ट्वीटर पर शिकायत मिलते ही विदेश मंत्रालय से जुड़ीं पासपोर्ट आदि समस्याओं का समाधान कर देती थीं। वे 16 वीं लोकसभा में वे मध्यप्रदेश के विदिशा से सांसद चुनी गई थीं। सुषमा स्वराज विदिशा लोकसभा क्षेत्र से 2009 का चुनाव भी जीती थीं।
सुषमा स्वराज का जन्म 14 फरवरी 1952 को हुआ था। हरियाणा के अंबाला छावनी में जन्मीं सुषमा स्वराज ने अंबाला के एसडी कॉलेज से बीए किया था और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से कानून में डिग्री हासिल की थी। सुषमा स्वराज के पिता हरदेव शर्मा तथा मां लक्ष्मी देवी थीं। उनके पिता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य थे। सुषमा स्वराज का परिवार मूल रूप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था, जो कि अब पाकिस्तान में है। सुषमा स्वराज को 1970 में कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे तीन साल तक लगातार कालेज की एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनी गईं। पंजाब यूनिवर्सिटी में भी उन्हें 1973 में सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला था। सन 1973 में ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में वकालत शुरू कर दी थी। 13 जुलाई 1975 को सुप्रीम कोर्ट के वकील स्वराज कौशल से उनका विवाह हुआ। स्वराज कौशल बाद में छह साल तक राज्यसभा में सांसद रहे और मिजोरम के राज्यपाल भी रहे। सुषमा स्वराज की एक बेटी है जिसका नाम बांसुरी है। वह लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही है।
शिक्षा पूरी होने के बाद सुषमा स्वराज ने जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की। आपात काल का पुरजोर विरोध करने के बाद वे सक्रिय राजनीति से जुड़ गईं। सन 2014 में वे भारत की विदेश मंत्री बनने वाली पहली महिला बनीं। उनसे पहले इंदिरा गांधी दो बार कार्यवाहक विदेश मंत्री रह चुकी थीं। इसके अलावा वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री और देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता भी बनीं।
सन 70 के दशक में ही स्वराज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गई थीं। उनके पति स्वराज कौशल समाजवादी नेता जॉर्ज फ़र्नांडिस के करीबी थे। इसी कारण वे भी 1975 में फ़र्नांडिस की विधिक टीम में शामिल हो गईं। आपातकाल के समय उन्होंने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में जोश के साथ भाग लिया। इमरजेंसी खत्म होने के बाद वे जनता पार्टी में शामिल हो गईं। सन 1977 में उन्होंने हरियाणा के अम्बाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीता और चौधरी देवीलाल की सरकार में 1977 से 1979 तक हरियाणा की श्रम मंत्री रहीं। तब उन्होंने सिर्फ 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकार्ड बनाया था। सन 1979 में 27 साल की उम्र में सुषमा स्वराज हरियाणा की जनता पार्टी इकाई की प्रदेश अध्यक्ष बन गईं।
सन 1980 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन हुआ तो वे उसमें शामिल हो गईं। बाद में 1987 से 1990 तक वे फिर अंबाला छावनी क्षेत्र से एमएलए रहीं। तब बीजेपी-लोकदल की गठबंधन सरकार में वे शिक्षा मंत्री रहीं। इसे बाद अप्रैल 1990 में वे राज्यसभा सांसद चुनी गईं और सन 1996 तक उच्च सदन की सदस्य रहीं। इसके पश्चात सन 1996 में सुषमा स्वराज ने दक्षिण दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीता। तब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गठित हुई जो सिर्फ 13 दिन चली। इस सरकार में सुषमा स्वराज सूचना और प्रसारण मंत्री थीं। मार्च 1998 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से फिर चुनाव जीता। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के इस कार्यकाल में वे 19 मार्च 1998 से 12 अक्टूबर 1998 तक सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं। इसके अलावा उनके पास दूरसंचार मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी था। उनके आकस्मिक निधन पर आज सारा देश नम आँखों से उन्हें याद कर श्रद्धांजलि दे रहा है।